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भाजपा के दिग्गज (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद अब भाजपा में सीएम की रेस शुरू हो गई है। इसे लेकर मेल मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही पांचवीं बार प्रदेश का नेतृत्व करेंगे या फिर कोई और नया चेहरा होगा, जिसे दिल्ली से केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। जल्द भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें नेता का औपचारिक चुनाव किया जाएगा।
प्रदेश में 163 सीटों के साथ भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत आधा दर्जन से ज्यादा नेता सीएम पद के दावेदार हैं। दरअसल, इस बार भाजपा ने बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ा था। साथ ही तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत अन्य दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा। ये सभी सीएम पद के दावेदार हैं। अब भाजपा को मुख्यमंत्री का नाम तय करना है। प्रदेश में अभी शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का नाम मुख्यमंत्री की रेस में चल रहा है। इस रेस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही सबसे आगे दिख रहे हैं।
फैसलों से चौंकाता रहा है केंद्रीय नेतृत्व
हालांकि, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने निर्णय से चौंकाता आया है, इसलिए सभी केंद्रीय नेतृत्व के संदेश का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, अभी दिल्ली से प्रदेश के नेतृत्व की कोई जानकारी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री का चेहरा तय होने के बाद प्रदेश में नए मंत्रिमंडल के गठन की कवायद भी शुरू हो जाएगी। चर्चा है कि इस बार कुछ पुराने चेहरों के साथ ही नए चेहरे को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
- शिवराज सिंह चौहान- प्रदेश में 18 साल से मुख्यमंत्री पद पर काबिज शिवराज सिंह चौहान अभी सबसे मजबूत और अनुभवी दावेदार हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व के लिए शिवराज सिंह चौहान को बदलना आसान नहीं हैं। हालांकि, लंबे समय से सीएम होने के कारण आलाकमान उन्हें बदलने के पक्ष में नजर आ रहा है।
- ज्योतिरादित्य सिंधिया- 2020 में कांग्रेस को छोड़ अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद प्रदेश में दोबारा भाजपा सरकार बनी। अभी वे केंद्रीय नेतृत्व के खास बने हुए हैं। पीढ़ी परिवर्तन करने पर सिंधिया को सीएम बनाया जा जा सकता है। हालांकि, उनको सीएम बनाने से भाजपा में गुटबाजी बढ़ने का खतरा है।
- नरेंद्र सिंह तोमर- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। दो बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। प्रदेश के नेताओं को भी स्वीकार्य हो सकते हैं। हालांकि, उनके बेटे के कथित लेने देन के वीडियो वायरल होने के बाद उनकी छवि को धक्का लगा है।
- कैलाश विजयवर्गीय- इंदौर-1 से चुनाव जीते विजयवर्गीय भी मुख्यमंत्री की रेस में हैं। हालांकि, जातिगत समीकरण में वह फिट नहीं बैठते हैं, पर वे केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद हैं। ऐसे में उनको संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी या लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है।
- प्रह्लाद पटेल- केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसलिए सीएम पद की रेस के मजबूत दावेदार दिख रहे हैं। केंद्र के नेताओं और प्रदेश के नेताओं के साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं और वे मिलनसार छवि वाले हैं।
- वीडी शर्मा- प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मुख्यमंत्री की रेस में हैं। उन्हें सीएम बनाने पर प्रदेश में संगठन को मजबूत करने और संगठनात्मक पकड़ का लाभ मिल सकता है। हालांकि, प्रदेश में जातिगत समीकरण देखकर सीएम बनाने पर मुश्किल हो सकती है।
- फग्गन सिंह कुलस्ते- केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए हैं। हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए और आदिवासी वोटरों को साधने के लिए भाजपा आदिवासी कार्ड के रूप में उनका नाम आगे बढ़ा सकती है।
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