
बीते चार चुनावों में महिलाओंं का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है।
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मध्यप्रदेश के चुनावों के लिए मतदान संपन्न हो चुके हैं। इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हुई है। तीन दिसंबर को पता चलेगा कि मप्र की सत्ता किसके हाथ में गई। इस चुनाव में महिलाएं खासा फोकस में रहीं। भाजपा लाडली बहना योजना तो कांग्रेस नारी सम्मान योजना लाकर महिलाओं को अपने पक्ष में करने की जुगत में रहीं। सभी की नजरें उनकी चुनाव में भागीदारी पर थीं। महिलाओं ने इस बार 76.02 प्रतिशत मतदान किया है। वहीं 252 महिलाएं इस चुनाव में भाग्य आजमाने मैदान में थीं।
पहले बात करते हैं मतदान में भागीदारी की। बीते चार चुनावों यानी दो दशक के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि महिलाओं की मतदान में भागीदारी लगातार बढ़ी है। हर चुनाव में बीते चुनाव से ज्यादा महिलाओं ने वोट डाला है। 2003 के चुनावों में 62.14 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। अगले चुनाव 2008 में ये आंकड़ा 65.91 प्रतिशत पर पहुंच गया। यानी करीब पौने चार प्रतिशत मतदान इस बार महिलाओं ने ज्यादा किया। 2013 के चुनाव में आधी आबादी का मतदान प्रतिशत 70.09 था। बीते चुनाव से 4.18 प्रतिशत ज्यादा। 2018 के चुनावों में फीमेल वोटिंग प्रतिशत 74.02 प्रतिशत गया। ये 2013 के चुनाव के मुकाबले 3.93 प्रतिशत अधिक रहा। इस बार के चुनाव में बीते 2018 के मुकाबले लगभग 2 प्रतिशत मतदान बढ़ा।
अब बात करते हैं महिलाओं के चुनाव लड़ने और जीतने की। 2003 के चुनावों में 199 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं और 19 महिलाएं जीतकर आई थीं। यानी करीब साढ़े 9 प्रतिशत महिलाएं ही जीती थीं। सदन में उनका प्रतिशत सवा आठ रहा। 2008 के चुनाव में 226 महिलाओं को पार्टियों ने टिकट दिया था, जिसमें से 25 ही विधायक बनीं थीं। यानी 11 प्रतिशत के आसपास। सदन में 10.86 प्रतिशत भागीदारी। इसके अगले चुनाव 2013 में 200 महिला प्रत्याशियों में से 30 जीती थीं। सदन में 13 प्रतिशत। और 2018 के इलेक्शन में 250 महिलाओं में से साढ़े आठ प्रतिशत यानी 21 महिलाएं जीती थीं। विधानसभा में 9.13 प्रतिशत विधायक महिलाएं थीं। इस बार 252 महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही हैं। बीते चार चुनाव में महिलाओं का जीत का औसत देखें तो 11 प्रतिशत के आसपास नजर आता है। वहीं विधानसभा में महिला विधायकों का प्रतिशत