
मालवा निमाड़ के मंत्रियों की सीट भी फंसी।
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मालवा निमाड़ की कुछ सीटों पर प्रदेश के मंत्री और पूर्व मंत्रियों ने चुनाव लड़े, लेकिन वे अपनी परंपरागत सीटों पर संघर्ष करते देखे गए। वे खुद अब परिणामों को लेकर चिंतित है। मंत्री अेामप्रकाश सकलेचा, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, उषा ठाकुर को इस बार चुनाव के दौरान एंटी एंकमबेंसी फेक्टर से जूझना पड़ा और प्रतिद्वंदी ने भी चुनाव में अच्छी टक्कर दी। अब तीन दिसंबर को पता चलेगा कि प्रदेश सरकार के मंत्री मतदाता की कसौटी पर कितने खरे उतरे।
पांच सालों में प्रदेश की जनता ने दो सरकारें देखी। एक साल 28 दिन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में राज किया। फिर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। कमल नाथ सरकार में भी मालवा निमाड़ से दस से ज्यादा विधायक मंत्री बने थे, लेकिन इस बार उनकी सीट भी फंसी हुई है। राऊ से पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को मधु वर्मा ने तगड़ी टक्कर दी है। वर्मा को शहरी वार्डों में हुई ज्यादा वोटिंग से उम्मीद है।
वर्मा को पहली बार मिली कड़ी टक्कर
महेश्वर सीट से कमल नाथ सरकार में मंत्री रही विजयलक्ष्मी सौधो को भी चुनाव में कड़े संघर्ष से गुजरना पड़ा है। राजकुमार मेव और साधौ के बीच कड़ा मुकाबला रहा। कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली सोनकच्छ सीट पर इस बार पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा। इंदौर जिले के भाजपा अध्यक्ष राजेश सोनकर ने कम समय मिलने के बावजूद मुकाबले को कड़ा बना दिया है और अब परिणाम किसी के भी पक्ष में आ सकते है।
उषा की सीट पर रहा त्रिकोणीय संघर्ष
भाजपा सरकार में पर्यटन मंत्री रही उषा ठाकुर को भी महू सीट से चुनौती मिली। कांग्रेस के राम किशोर शुक्ला के अलावा कांंग्रेस के बागी अंतर सिंह दरबार के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है। महू शहरी क्षेत्र में उषा ठाकुर के खिलाफ नकारात्मक माहौल रहा। उन्हें ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीद है। बदनावर सीट से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को भी कांग्रेस उम्मीदवार भंवर सिंह शेखावत ने कड़ी टक्कर दी है।