Chhath Pooja: End of the great festival Chhath Puja, women offered Arghya to the rising sun in Bhopal too

छठ पूजा के लिए एकत्रित हुए लोग
– फोटो : अमर उजाला

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“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय,” “मारवो रे सुगवा धनुष फेक, सुग्गवा गिरय मुरझाय”, “पहिले पहिले छठी मैया : वरत कैलू तोहार” जैसे मधुरिम लोकगीतों के साथ सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इसके पहले भक्तिमय एवं आस्था के साथ बिहार तथा उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्यौहार महापर्व छठ के तीसरे दिन 19 नवंबर, रविवार को सूर्यदेव की आराधना के लिए अस्ताचल सूर्य को (प्रथम अर्घ्य) देकर उपवास किया गया। महापर्व छठ पूजनोत्सव के भव्य आयोजन में लगभग 25 हजार श्रद्धालु एवं भक्त शामिल हुए।

ऐसे होती है पूजा 

छठी मैया के इस महापर्व में साक्षात देव सूर्य भगवान को बाँस के बने सूप में ठेकुआ, गन्ना, संतरा, सेव, मह्तावी, केला, मुली, सुथनी, हल्दी, नारियल, पुआ, लडुआ जैसे प्रकृति प्रदत अनाजों को पूर्ण पवित्रता एवं स्वच्छता के साथ परंपरागत रूप से तैयार प्रसाद के साथ पानी के कुंड में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 

की गई विशेष व्यवस्था

इस महापर्व के सफल एवं पवित्रता के साथ आयोजन के लिए छठ पूजा आयोजन समिति एवं बिहार सांस्कृतिक परिषद् की ओर से हर वर्ष की तरह इस वर्ष 64वें आयोजन में विशेष व्यवस्था की गई थी। एक महीने पूर्व से छठ घाट स्वच्छता अभियान को जारी रखते हुये पवित्रता एवं स्वछता के महापर्व छठ पूजनोत्सव की व्यापक तैयारी की गई थी, जिसमें समिति के सदस्यों एवं छठव्रती श्रद्धालुगण ने नगर निगम एवं बीएचईएल प्रशासन की सहायता से पूरे घाट एवं कुंड की सफाई की गई थी।



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