
मच्छर भगाने वाले क्वाइल्स के नुकसान
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उत्तर प्रदेश के आगरा में मच्छरों से बचने के लिए यदि आप कॉइल जला रहे हैं तो यकीन मानिए आपके फेफड़ों में करीब 100 सिगरेट के बराबर धुआं पहुंच रहा है। बच्चों, स्वस्थ लोगों को भी खांसी, सिरदर्द, आंखों में जलन की शिकायत होने लगती है। अस्थमा और सांस रोगियों का मर्ज बिगड़ रहा है। यह मानना है एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. जीवी सिंह का। ऐसी परेशानी लेकर एसएन में रोजाना 50 से 60 मरीज आ रहे हैं।
डॉ. जीवी सिंह ने बताया कि एक कॉइल जलने से 100 सिगरेट के बराबर धुआं कमरे में भर जाता है। इसमें खतरनाक रसायन होते हैं। वही धुआं फेफड़ों में जाने पर सांस नली में संक्रमण होता है। खांसी, सिर में दर्द, बेचैनी, नाक में जलन, एलर्जी की परेशानी होती ओपीडी में ऐसे नए 25 से 30 मरीज मिल रहे हैं।
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30 से 40 मरीज दमा और सांस के पुराने रोगी हैं। इनकी छाती में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न, घर्र-घर्र की आवाज, खांसी की परेशानी बढ़ जाती है। टीबी के मरीजों में खांसते वक्त बलगम में खून भी आ जाता है। दवा देने के साथ कॉइल का उपयोग बंद करने का परामर्श दिया गया।
बच्चों में बढ़ा मिला संक्रमण
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल चतुर्वेदी ने बताया कि कॉइल और लिक्विड कॉइल दोनों ही दमा से पीड़ित बच्चों के लिए नुकसानदायक है। भाप देने के साथ बच्चों को दवाएं भी देनी पड़ रही हैं। एसएन के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज यादव ने बताया कि धुएं से नाक में एलर्जी, गले में खराश, खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत बताई। ओपीडी में रोजाना 15-18 बच्चे आ रहे हैं, जिसमें से 5-8 दमा से पीड़ित होते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
- मच्छररोधी कॉइल न जलाएं, मच्छरदानी का उपयोग करें।
- कमरे की खिड़की-दरवाजों पर मच्छरों को रोकने को जाली लगाएं।
- घर में अनावश्यक सामान हटा दें, कमरों में धूप का प्रबंधन बेहतर करें।
- कॉइल से खांसी-सिर में दर्द समेत अन्य परेशानी होने पर खुद दवा न लें।