
धीमे मतदान के कारण भी कतारें लगी रही।
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इंदौर की 9 विधानसभा सीटों पर 20 लाख से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में ढाई लाख वोट ज्यादा डाले गए, लेकिन बढ़े हुए वोटों का दबाव भी मतदान केंद्रों ने झेला,क्योकि इंदौर में वोटर बढ़ने के बावजूद मतदान केंद्र नहीं बढ़ाए गए।
इसका असर दो विधानसभा सीटों पर पड़ा। दो नंबर और पांच नंबर विधानसभा सीट पर 67 प्रतिशत मतदान हुआ। इससे दोनो सीटों के उम्मीदवार हैरान है। उनका कहना है कि कई केंद्रों पर एक हजार से ज्यादा वोटर थे। इस कारण कतार लगी रही। लोग मतदान केंद्रों से वापस लौटे। इस वजह से मतदान प्रतिशत कम रहा।
इंदौर जिले में कुल 27 लाख मतदाता है। उनके लिए ढाई हजार मतदान केंद्र रखे गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी इतने ही मतदान केंद्र थे। चुनाव आयोग के निर्देश थे कि नए मतदान केंद्र न बढ़ाए जाए। इंदौर में पिछले साल की तुलना में मतदाता संख्या में ढाई प्रतिशत इजाफा हुआ लेकिन बढ़े हुए वोटरों का दबाव कई बूथों पर झेलने में परेशानी आई। इस कारण नंदा नगर, वृंदावन काॅलोनी, रामबाग, सुखलिया ग्राम के कुछ बूथों पर एक हजार से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया।
पूरे समय केंद्रों पर मतदाता की भीड़ जुटी रही। सबसे कम मतदान दो नंबर विधानसभा क्षेत्र में हुअ। यहां के भाजपा प्रत्याशी रमेश मेंदोला का कहना है कि दो नंबर में कुछ बूथों को दूसरे बूथों में समायोजित किया गया था। पूरे समय भीड़ रहने के कारण लोग मतदान केंद्रों से लौटते भी देखे गए।
पांच नंबर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी महेंद्र हार्डिया का इस बारे में कहना है कि आयोग का मतदान केंद्रों में कटौती नहीं करना चाहिए। मतदाता बढ़ने के हिसाब से केंद्र भी बढ़ाना चाहिए,क्योकि केंद्र के भीतर जाने के बाद एक मतदाता को दो से ढाई मिनट का समय लग रहा था। इससे मतदान की प्रक्रिया धीमी हो गई थी और दूसरे मतदाता को इतंजार करना पड़ा। मतदान बढ़ाने के लिए केंद्रों को बढ़ाना भी जरुरी है।