
क्रिकेट सीख रहे बच्चे
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क्रिकेट वर्ल्ड कप का असर यहां भोपाल में मैदान पर भी साफ दिखाई दे रहा है। बीते कुछ महीनों में क्रिकेट सीखने वाले बच्चों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। विराट कोहली, शुभमन गिल, रोहित शर्मा और मोहम्मद शमी जैसा बनने के लिए नन्हें बच्चे सात साल जैसी छोटी उम्र में ही जमकर पसीना बहा रहे हैं। प्रतिदिन तीन से चार घंटे नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं।
भोपाल के ओल्ड केंपियन और अंकुर मैदान में क्रिकेट सीखने वाले बच्चों की संख्या पहले बढ़ती जा रही है। पहले यहां करीब 100 बच्चे प्रैक्टिस करते थे। लेकिन अब इसके दोगुने 200 से अधिक बच्चे प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें 7 से 9 आयु के खिलाड़ियों की संख्या भी अच्छी खासी है। इनके अलावा लड़कियां भी क्रिकेट सीखने में लड़कों के मुकाबले अब कम नहीं हैं। वे बराबरी से यहां बॉलिंग, बल्लेबाजी और फील्डिंग कर रही हैं।
क्या कहते कोच
इधर, ओल्ड केम्पियन मैदान पर बच्चों को क्रिकेट की कोचिंग दे रहे कोच सुरेश का कहना है कि क्रिकेट एक जेंटलमैन गेम है। इसमें लड़ाई झगड़ा नहीं है। इसमें कोई भारी खर्चा भी नहीं है, सिवाए अथक मेहनत के। छह और सात साल जैसी कम उम्र में बच्चे बड़ी संख्या में क्रिकेट सीखने आ रहे हैं। सबसे अच्छी बात है कि वे पूरी ईमानदारी और लगन के साथ क्रिकेट सीखते हैं।
विकेटकीपर बनने में रुझान
बच्चों का रुझान विकेटकीपर संग बल्लेबाज बनने की तरफ भी बढ़ा है। महेंद्र सिंह धोनी से बच्चे इंप्रेस नजर आ रहे हैं। उनके साथ ही केएल राहुल भी इस मामले में बच्चों के आदर्श बन रहे हैं। विकेटकीपिंग करने वाले नौ साल के आरंभ कहते हैं, उन्हें विकेट के पीछे गेंद को रिसीव करने में आनंद आता है। डर या खतरा होने के सवाल पर आरंभ कहते हैं कि आप पूरी सुरक्षा के साथ विकेट के पीछे होते हैं। इसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होता। वे पूरी तरह से निडर होकर बॉल को रिसीव करते हैं।
छोटी उम्र में बड़े सपने
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हर्षवर्धन शर्मा 10 साल
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समर्थ थापक 11 साल
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कुमार सिंह सात साल
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धैर्य थापक आठ साल
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समर्थ सिंह 10 साल
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प्रिंस पटेल 13 साल
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तन्मय शुक्ला 11 साल
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दिव्यांश सेन आठ साल
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अधिराज सिंह ठाकुर 10 साल
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अमोख सात साल और बिलाल 11 साल