
प्रतीकात्मक तस्वीर।
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राज्य कर विभाग में ‘बाहरी व निजी’ लोगों की घुसपैठ की शिकायतों पर सभी संयुक्त आयुक्तों से इस आशय का प्रमाण पत्र के आदेश को हवा में उड़ा दिया गया है। आदेश के एक माह बाद भी मुख्यालय को एक भी शपथपत्र नहीं मिला है कि उनके कार्यालय में निजी लोग काम नहीं कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सभी जिलों के राज्य कर कार्यालयों ने अघोषित रूप से स्वीकार लिया कि उनके दफ्तर में निजी लोग काम कर रहे हैं।
‘अमर उजाला’ ने 15 अक्तूबर के अंक में इस विभाग में बाहरी लोगों की घुसपैठ का खुलासा किया था। एक भी शपथपत्र न मिलने से नाराज शासन ने मामले की रिपोर्ट तलब करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले इस विभाग में भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी की शिकायतें भी सबसे ज्यादा हैं। तमाम अधिकारियों व कर्मचारियों ने ‘वसूली’ के लिए निजी कारिदें तैनात कर रखे हैं। उनके पास न केवल विभागीय पासवर्ड हैं बल्कि कंप्यूटर से लेकर सभी संवेदनशील फाइलों तक सीधी पहुंच है। यही ‘बाहरी’ ब्लैकमेल भी करते हैं व धमकी भी देते हैं।
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निजी लोगों द्वारा काम कराए जाने की शिकायतें वाणिज्य कर वैयक्तिक सहायक और आशुलिपिक सेवा संघ ने गत 16 सितंबर को पहली बार लिखित में की थी। पत्र में आरोप लगाया कि विभिन्न जोनल कार्यालयों में बाहरी व्यक्तियों से राजकीय कार्य कराया जा रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य कर आयुक्त ने सभी संयुक्त आयुक्तों को निर्देश दिए कि निजी व्यक्ति से काम की शिकायत मिली तो वे जिम्मेदार होंगे और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सभी से उनके कार्यालय में निजी व्यक्ति के कार्य न करने का प्रमाणपत्र मांगा गया। अब एक माह बाद फिर इस संबंध में अपर आयुक्त प्रशासन रिया केजरीवाल ने सभी से शपथपत्र मांगे हैं ताकि जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट दी जा सके।