MP Election 2023: It is difficult to understand the mind of the voter, if the vote share increases then BJP bo

मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर को होगी मतगणना
– फोटो : सोशल मीडिया

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार शाम 6 बजे पूरा हो गया। इसके साथ ही 230 सीटों पर उतरे 2533 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। पिछले चार दशक के वोटिंग ट्रेंड के अनुसार वोट शेयर बढ़ने पर भाजपा चुनाव जीती भी है और हारी भी। इस बार मतदान करीब 76.15% हुआ है। यह पिछली बार से 0.52 फीसदी अधिक है। 2018 की बात करें तो प्रदेश में 75.63 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यह 2013 की तुलना में 3.50 प्रतिशत अधिक थी। 2018 में कांग्रेस 114 सीटों पर विजय हुई थी, जबकि भाजपा सिर्फ 109 सीट ही जीत पाई थी। हालांकि, वोट प्रतिशत में भाजपा आगे थी। सीटें ज्यादा होने, लेकिन बहुमत से दो सीटें कम होने पर कांग्रेस ने निर्दलीय व अन्य दलों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। 

इसके पहले 2013 में 72.13 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यह इसके पिछले चुनाव से 2.35 प्रतिशत थी। उस वर्ष मोदी लहर चली थी। इससे भाजपा ने 165 सीटें जीत ली थी, जबकि कांग्रेस के सिर्फ 58 विधायक ही चुनाव जीत सके थे। इससे पहले 2008 में प्रदेश में 69.78 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें 2003 की तुलना में 2.53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 141 सीटें जीती थी। वहीं, कांग्रेस सिर्फ 71 सीटों पर रूक गई थी। 2003 की बात करें तो 7.04 फीसदी की वृद्धि के साथ 67.25 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस वर्ष भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में 173 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में दिग्विजय सिंह की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के 86 विधायक चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 38 सीटें मिली थी। वहीं, 1990 के चुनाव में 54.21 फीसदी मतदान हुआ था। इसमें 4.42 प्रतिशत वृद्धि हुई थी और भाजपा चुनाव जीत गई थी, जबकि अगले ही साल 1993 में 60.17 फीसदी मतदान हुआ था, इसमें 5.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी फिर भी भाजपा की सरकार चली गई थी और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बना ली थी।



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