
मालवा निमाड़ इस बार किसका देगा साथ?
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सत्ता में फिर आने के लिए कांग्रेस मालवा निमाड़ पर पिछले चुनाव की तरह अपना कब्जा बरकरार रखना चाहती है, जबकि भाजपा अपने पुराने गढ़ को फिर से पाने के लिए बेकरार है। वर्ष 2003 से मालवा निमाड़ में कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाकर भाजपा प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रही थी, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां 66 में से 35 सीटें जीत कर 14 साल बाद सत्ता का वनवास खत्म किया थ।
कांग्रेस ने अपने 25 विधायकों को दोबारा मालवा निमाड़ में उम्मीदवार बनाया है, ताकि फिर से कांग्रेस उन सीटों पर जीत दर्ज कराए, भाजपा ने भी पिछली बार मिली हार से सबक लेकर महाकाल लोक, अहिल्या लोक जैसे प्रोजेक्टों पर काम किया। अेांकारेश्वर में शंकर्राचार्य की 100 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई। भाजपा ने पहली सूची में मालवा निमाड़ की 11 सीटों पर पहले ही उम्मीदवार घोषित कर दिए गए, ताकि उन्हें चुनावी तैयारियों का ज्यादा समय मिल सके।
भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि पिछली बार कम सीटें मिलने के बाद हमने मालवा निमाड़ पर फोकस किया। ज्योर्तिंलिंग स्थलों को विकसित किया। वहां पर्यटन बढ़ा। इंदौर खंडवा रोड तैयार हो रहा है। इस बार भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहेगा और हमारी सरकार बनेगी।
उधर मध्य प्रदेश कांग्रेस उद्योग व व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष अजय चौरडि़या का कहना है कि मालवा निमाड़ में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। आदिवासी क्षेत्रों में लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे है। राहुल गांधी ने भारत जोड़ा यात्रा में मालवा निमाड़ के बड़े हिस्से को कवर किया। इस बार फिर मालवा निमाड़ में कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहेगा।
वर्ष 2013 में था भाजपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन
मालवा निमाड़ के तीन चुनावों का ट्रेक रिकार्ड देखा जाए तो वर्ष 2008 में भाजपा के पास 41 सीटें थी, जबकि कांग्रेस को 24 सीटे पाकर संतोष करना पड़ा। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। वर्ष 2013 में भाजपा का मालवा निमाड़ में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। भाजपा के पास 56 सीटों पर जीत दर्ज कराई,जबकि कांग्रेस 9 पर सिमट गई। एक निर्दलीय ने चुनाव जीता। 14 साल बाद कांग्रेस ने मालवा निमाड़ में प्रदर्शन सुधारते हुए भाजपा से ज्यादा सीटें लाई। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस के पास 35 सीटें आई, भाजपा को 28 सीटें मिली। इस साल तीन निर्दलीय चुनाव जीते, उनमे दो कांग्रेस के बागी थे।