Astronomical Event: Astronomical view of meteor fireworks will be seen tomorrow night

चित्रों के माध्यम से उल्काओं की आतिशबाजी को समझातीं सारिका
– फोटो : अमर उजाला

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पूर्वी आकाश में चमकते उल्काओं की आतिशबाजी जैसा नजारा देखने का मौका मिलने वाला है। शुक्रवार रात 12 बजे से देर रात तक लियोनिड्स उल्का बौछार देखी जा सकेंगी। ये जानकारी नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी। 

सारिका ने बताया कि उल्काओं को टूटते तारे भी कहा जाता है, लेकिन वे वास्तव में तारे नहीं हैं। धूल और छोटी चट्टान जब पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में बहुत तेज गति से टकराती हैं तो जलने से उत्पन्न आकाश में प्रकाश की धारियां उल्का कहलाती हैं। उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा गिराए गए मलबे से होकर गुजरती है। वे हर साल लगभग उसी समय फिर से घटित होते हैं, जब पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमती है और फिर से मलबे से होकर गुजरती है।

सारिका ने बताया कि यह एक औसत बौछार है जो लगभग प्रतिघंटे 15 उल्का पैदा करती है। लियोनिड्स का निर्माण धूमकेतु टेम्पेल-टटल द्वारा छोड़े गए धूल के कणों से हुआ है, जिसे 1865 में खोजा गया था। सारिका ने बताया कि उल्कापात देखने के लिए चंद्रमा अस्त होने के बाद मध्यरात्रि जितना हो सके शहर की रोशनी से दूर स्थान पर सिर्फ धैर्य रखकर बेहतर देखी जा सकेगी। 

सारिका ने बताया कि आकाशीय आतिशबाजी की इस शाम  चंद्रमा 18.4 प्रतिशत चमक के साथ रात लगभग 9 बजे अस्त होगा। इस समय आकाश में जुपिटर माइनस 2.88 मैग्नीटयूड से तथा सेटर्न 0.80 मैग्नीटयूड से चमक रहा होगा। देर रात लगभग 4 बजे पूर्वी आकाश में चमकता वीनस इस खगोलीय घटनाक्रम की चमक को बढ़ा देगा। वीनस माइनस 4.31 मैग्नीटयूड से चमक रहा होगा। 



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