
सहारा श्री ने गोरखपुर से शुरू किया था कारोबार।
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पूरी दुनिया में शोहरत कमाने वाले सुब्रत राॅय कभी तुर्कमानपुर में ईश्वरशरण श्रीवास्तव एडवोकेट के मकान में निचले हिस्से में 175 रुपये महीने में किराए पर रहते थे। सिगरेट का शौक उन्हें पढ़ाई के दौरान से ही था। एक समय था जब वे बेतियाहाता में रहने वाले अपने मित्र बीडी मिश्रा की एचडी मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर घूमते थे।
दरअसल, सुब्रत राय ने चिट फंड कंपनी सहारा की तो उससे बहुतों को रोजगार भी मिला। धीरे-धीरे उनका यह कारोबार सब्जी बेचने वाले तक पहुंच गया और वे दो से पांच रुपये रोजाना जमा करने में हिचकते भी नहीं थे। यहीं से सुब्रत राय की कंपनी चल निकली। पहले गोरखपुर और फिर आसपास के जिलों में उन्होंने कारोबार को फैलाया।
उनके कारोबार से जुड़े प्रमोद सिंह ने बताया कि महराजगंज में हमे आलीशान कार्यालय मिला। उनका कारोबार छोटे वर्ग से जुड़ा था। एक-एक, दो-दो रुपये रोज जमा करने की कच्ची परचियां काटते थे। बाद में महीने में एक बार हिसाब करते थे। एक दौर था जब उस समय की सारी चिट फंड एवं हाउसिंग कंपनियां बंद होने लगीं लेकिन सहारा बढ़ता गया।