
बड़नगर में भाजपा से जितेंद्र पड्या, कांग्रेस से मुरली मोरवाल, निर्दलीय राजेंद्र सोलंकी मैदान में हैं
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे ही विधानसभा चुनाव मे किए जा रहे प्रचार प्रसार मे यह स्थितियां अब स्पष्ट होती दिखाई दे रही हैं कि इस बार चुनाव में मुख्य मुकाबला किन पार्टियों के बीच होने वाला है। उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इस बार इस क्षेत्र से मुख्य मुकाबला सिर्फ भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच नहीं बल्कि भाजपा, कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे राजेंद्र सिंह सोलंकी के बीच होता नजर आ रहा है।
बड़नगर में कांग्रेस से मुरली मोरवाल, भाजपा से जितेंद्र पड्या तो निर्दलीय राजेंद्र सोलंकी में मुकाबला है। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के बागी हैं तो नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। लोग दबी जुबान कहते नजर आ रहे हैं कि भले ही मुरली मोरवाल नारी का सम्मान करने की बात कर रहे हों, लेकिन जिनके बेटे पर खुद दुष्कर्म के आरोप लगे हों वह हमारा सम्मान क्या कर पाएंगे। बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी के बेटे पर कांग्रेस नेत्री के साथ दुष्कर्म करने के ही आरोप लगे थे जिसमें एफआईआर दर्ज हुई थी और इसके चलते उनके बेटे को जेल की हवा भी खाना पड़ी थी, जो कि वर्तमान में कोर्ट से जमानत पर है। क्षेत्र के लोगों का तो यह भी कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में मुरली मोरवाल ने बड़नगर के रेलवे गेट पर ब्रिज बनाने और क्षेत्र के चहुंमुखी विकास करने के जो वादे किए थे वह भी अब तक अधूरे हैं। पांच वर्षों तक उन्होंने क्षेत्र का तो कोई विकास नहीं किया बल्कि बेटे पर लगे दुष्कर्म के आरोपों के बाद वह इसी मामले को सुलझाने में लगे रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी मुरली मोरवाल के बेटे पर लगे दुष्कर्म के आरोपों के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठों ने इस बार विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन मुरली मोरवाल और उनके समर्थकों द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने सही फैसले को बदलकर मुरली मोरवाल को अपना प्रत्याशी तो बना दिया लेकिन टिकट कटने से नाराज राजेंद्र सिंह सोलंकी ने कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन जमा करवाया और वह सर्व समाज की ओर से इस बार चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस पार्टी छोड़कर जिला पंचायत अध्यक्ष रहे महेश पटेल उन्हें जिताने के लिए कार्य कर रहे हैं। बताया यह भी जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उनका सतत संपर्क होने का लाभ मिल सकता है।
(उज्जैन से निलेश नागर की रिपोर्ट)