
परिवार के साथ कुशाग्र(फाइल फोटो)
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कुशाग्र का इस बार दीपावली पर कुर्ता, पायजामा व सदरी पहनने का मन था। उसने यह इच्छा अपने पापा से भी जताई थी। परिवार भी हार बार की तरह धूमधाम से दीपावली मनाने की तैयारी में था। हालांकि असमय हुई कुशाग्र की मौत से पूरे परिवार को तोड़ दिया।
कुशाग्र के पिता कपड़ा व्यापारी मनीष कनौडिया बातचीत के दौरान रूंधे गले से कहते हैं कि अब कुशाग्र ही नहीं रहा तो क्या होगा। मिठाई भी घर नहीं आएगी और न ही रिश्तेदारों को उपहार देंगे। घर भी नहीं सजाया गया है।
रायपुरवा के आचार्य नगर निवासी मनीष कनौडिया ने बताया कि पिछले साल दीपावली पर बड़े बेटे कुशाग्र, छोटे बेटे आदि के साथ सीसामऊ बाजार गए थे। वहीं से दोनों को नए कपड़े खरीदे थे। तब कुशाग्र ने कहा था कि पापा मेरा मन है कि अब दीपावली पर कुर्ता, पायजामा व सदरी पहनेंगे, लेकिन दीपावली पर्व से कुछ दिन पहले ही उसकी अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई।
इससे दीपावली पर मन पसंद कपड़े पहनने की कुशाग्र की इच्छा मन में ही रह गई। मनीष ने बताया कि पिछली बार दीपावली के दिन वह बेटों कुशाग्र और आदि के साथ आनंदेश्वर, पनकी और इस्कान मंदिर दर्शन गए थे। इसके बाद दुकान में पूजन-पाठ किया और फिर पटाखें खरीदे थे।