
मालवा में गुलाबी ठंड की दस्तक
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मालवा की रातें यूं ही मौसम के मान से मधुर हुआ करती है,अक्टूबर को भी बीते एक सप्ताह हो चूका है। मौसम का पारा नवंबर महीने में न्यूनतम 17 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही नहीं जा रहा है और अधिकतम भी 31 डिग्री सेल्सियस पर ठहर गया है। कुछ तापमान कम हो तो ठण्ड को मालवा में प्रवेश मिले। कार्तिक माह और शरद ऋतु में ठण्ड का आगमन हो जाता है। परन्तु इस बार मौसम कुछ बेईमान हो गया है और दोपहर में सूरज की सीनाजोरी अभी भी जारी है।
गुड़ से बनने वाली गजक की खुशबू महकने लगी है, गजक की दुकानें सज गई हैं। गरम वस्त्रों की दुकानों पर ऊनी कपड़ों ने बरसात से बचने के साधनों को विदा कर वे दिखने लगे है। सब्जियां भी खूब आने लगी है गाजर मूली टमाटर और मैथी के साथ मौसमी सब्जियां भी भरपूर मात्रा में बाजार में अपनी उपस्तिथि दर्ज करा रही है।
पिछली रात में जरूर संध्या से ही मौसम में ठंडक का अहसास होने लगा और देर होते -होते लगने लगा की अब ठण्ड के दिन दूर नहीं ,वैसे भी वातावरण में चुनावी गर्मी है तो ठंडक जरुरी थी। नवंबर माह का रिकॉर्ड ठण्ड का ही है, 25 नवंबर 1938 में इंदौर में न्यूनतम पारा 5. 6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था, अधिकम भी कहां पीछे रहने वाला था, 5 नवंबर 1938 को अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड दर्ज किया गया था। वैसे नवंबर माह में आरम्भ के सप्ताह में न्यूनंतम तापमान 1 नवंबर 2013 को 10.5 , 7 नवंबर 2011 को 13.6 और 2 नवंबर 2014 को 13.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है, जाहिर है नवंबर माह में आरम्भ में ठण्ड दस्तक दे देती है। अब ठण्ड के दिन दूर नहीं है ,घरों में पेटियों और अलमारियों में दुबके गर्म कपड़ों को निकलने का वक्त आ गया है, धीरे से किसी भी वक्त अब ठण्ड की दस्तक होने वाली है।