
पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी। (फाइल)
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करीब 22 वर्ष पुराने अपहरण के मामले में गैरजमानती वारंट के बावजूद पेश न होने पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ कुर्की का आदेश जारी किया है। अमरमणि के वकील के वारंट रिकॉल के प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-82 के तहत यह आदेश दिया। अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि ने बस्ती पुलिस के खिलाफ तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जहां सामान्य गरीब अपराधियों के संदर्भ में स्थानीय पुलिस तत्परता के साथ अपेक्षा से अधिक प्रभावी पैरवी करती नजर आती है, वहीं प्रभावशाली दुर्दांत अपराधियों के पर कार्रवाई से ठिठक क्यों जाती है। इस प्रकरण में एसपी बस्ती की कार्यप्रणाली आपत्तिजनक है। पुलिस की अकर्मण्यता के कारण अभियुक्त फरार चल रहा है। पुलिस ने न्यायालय में आख्या प्रस्तुत की कि अमरमणि को उनके 19ए हुमायूंपुर दक्षिणी कोतवाली गोरखपुर के पते पर दबिश डालकर खोजने का प्रयास किया गया, पर उनका पता नहीं चल पाया। लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई।
मधुमिता हत्याकांड में 24 अगस्त को ही हुई है रिहाई
नौ मई 2003 को लखनऊ में 24 साल वर्षीय कवियित्री मधुमिता शुक्ला की घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। मामले में मायावती सरकार में मंत्री रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को आरोपी बनाया गया। 24 अक्तूबर 2007 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में अमरमणि की पत्नी समेत छह लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 20 साल बाद, 24 अगस्त 2023 को दोनों रिहा हो गए। रिहाई के बाद वह कहां हैं, यह कोई नहीं जानता।
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