
दिग्विजय सिंह पत्रकारों से चर्चा करते हुए।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के टिकट को लेकर बवाल मचा था। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। उन्हें टिकट देने का भरोसा दिया गया था। इसके बाद भी उनकी जगह पिछोर के विधायक केपी सिंह को शिवपुरी से टिकट दिया गया। इस पर सफाई देते हुए दिग्विजय सिंह ने खेद जताते हुए स्वीकार किया कि वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट मिलना चाहिए था। अंतिम समय में यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से मना किया। तब संभावना बन रही थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी से चुनाव लड़ सकते हैं। इस वजह से सबसे कद्दावर नेता केपी सिंह को पिछोर से शिवपुरी की सीट पर उतारना पड़ा। दिग्विजय ने यह भी दावा किया कि वीरेंद्र रघुवंशी कांग्रेस के साथ हैं। चुनाव में प्रचार भी करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कपड़े फाड़ने वाले बयान को दिग्विजय सिंह ने महत्व नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ और मेरा 40 साल पुराना दोस्ताना है। कमलनाथ को कपड़े फड़वाने और गाली खाने का अधिकार है।
जयवर्धन का नामांकन दाखिल करने आए थे दिग्विजय
दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने अन्य प्रत्याशियों के साथ गुरुवार को नामांकन दाखिल किया। इस अवसर पर सिंह उनके साथ मौजूद रहे। सिंह ने गुना सीट पर भाजपा प्रत्याशी घोषित न होने पर आश्चर्य जताया। उन्होंने यह भी कहा कि वह ठाकुर परिवार में जरूर जन्मे हैं, लेकिन शुद्ध रूप से जैनी है। जैन समाज पर्यूषण पर्व के समापन पर क्षमा मांगता है। वह तो नियमित रूप से क्षमा याचना कर लेते हैं।
टिकट वितरण का फॉर्मूला भी बताया
दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के टिकट वितरण पर कहा कि कमलनाथ ने तीन से चार एजेंसियों से सर्वे कराया था। एआईसीसी के बड़े नेता स्वयं क्षेत्रों में घूमे थे। 80 से 90 प्रतिशत टिकट सर्वे के आधार पर ही दिए गए हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा ने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से अपना कचरा साफ कर रहे हैं। भाजपा के पास हिंदू-मुसलमान के अलावा कुछ है नहीं। सनातन को मुद्दा बना रही भाजपा पर उन्होंने आक्रोश जताया।
पूरे प्रदेश में बदलाव की लहर
दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस समय पूरे प्रदेश में बदलाव की लहर है। कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इस बार कांग्रेस ऊपर से नीचे तक नहीं, बल्कि नीचे से ऊपर तक चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के बड़े पदाधिकारियों को उनके गृह क्षेत्र वाला बूथ जिताने की जिम्मेदारी दी गई है। बाकायदा नाम लिखे जाएंगे। पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जाएगी।