
Chandra Grahan 2023: शयन आरती के बाद बंद हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट, दिन में हुई गंगा आरती
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खंडग्रास चंद्रग्रहण के कारण अस्सी से राजघाट के बीच विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती 32 साल में चौथी बार शनिवार को दिन में हुई। इसमें श्रद्धालुओं ने उत्साह से हिस्सा लिया।वहीं, सूतक से पहले ही शहर के मंदिरों के कपाट भी बंद हो गए। सिर्फ काशी विश्वनाथ मंदिर का कपाट शयन आरती और मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट रात दस बजे बंद हुआ। हालांकि भोग में मिष्ठान व फल का भोग लगाया गया।
दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से शनिवार को होने वाली मां गंगा की आरती चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल के कारण दोपहर 02:30 मिनट पर प्रारंभ हुई और 03:30 मिनट पर पूरी हो गई। गंगोत्री सेवा समिति की आरती अपराह्न लगभग ढाई बजे शुरू हुई, जिसका समापन साढ़े तीन बजे हुआ। इसमें पांच अर्चकों ने विधि विधान से गंगा आरती की। अस्सी घाट पर जय मां गंगा सेवा समिति की ओर से दोपहर में गंगा आरती हुई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट शयन आरती के बाद बंद हुए। संकटमोचन मंदिर का कपाट तो सूतक लगते ही 4:15 बजे बंद हो गया।
स्पर्श के साथ शुरू हुआ जप और स्नान
रात्रि में 1:05 बजे चंद्रग्रहण का स्पर्श आरंभ हुआ तो श्रद्धालुओं ने चंद्रमा की मुक्ति की कामना से मानसिक जप आरंभ कर दिया। वहीं मणिकर्णिका तीर्थ, दशाश्वमेध घाट और गंगा के कई घाटों पर श्रद्धालुओं ने स्पर्श का स्नान आरंभ किया। इसके बाध्य ग्रहण का मध्य होने पर रात्रि 01:44 बजे श्रद्धालुओं ने दोबारा स्नान किया। ग्रहण का मोक्ष होने पर रात्रि 02:23 बजे के बाद श्रद्धालुओं ने स्नान और दान किया।
अब तक तीन बार बदल चुका है आरती का समय
चंद्र ग्रहण के कारण गंगा आरती का समय पहले भी बदला है। 6 जुलाई 2019, 8 अगस्त 2017 और 27 जुलाई 2018 में भी चंद्रग्रहण के वक्त आरती के समय में बदलाव किया जा चुका है। समिति सचिव पंडित दिनेश शंकर दूबे का कहना है कि ग्रहण का सूतक काल, ग्रहण के स्पर्श से नौ घंटे पूर्व शुरू हो जाता है।