
मालवा निमाड़ की छह सीटों पर बगावती सुर
– फोटो : amar ujala digital
विस्तार
टिकट न मिलने से नाराज नेता या तो घर बैठ जाते है या फिर बगावती तेवर दिखाकर मैदान में उतर जाते है। हर चुनाव में यहीं होता है। इस बार भी बगावत की ये परंपरा मालवा निमाड़ की कुछ सीटों पर निभाई जा रही है। निर्दलीय फार्म भरकर भाजपा और कांग्रेस के बागी मैदान में है, वे हटने के लिए राजी नहीं है। यदि वे चुनाव में बने रहते है तो कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले होंगे। मालवा निमाड़ में पिछले विधानासभा चुनाव में बागियों के द्वारा वोट काटे जाने के कारण भाजपा और कांग्रेस के कई उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। मालवा निमाड़ में तो कांग्रेस के तीन बागी चुनाव जीत गए थे।
भाजपा से आए शेखावत के टिकट पर बगावत
बदनावर विधानासभा सीट पर कांग्रेस ने भाजपा छोड़ कर आए भंवर सिंह शेखावत को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट से अभिषेक सिंह बना टिकट मांग रहे थे। इसके बाद उन्होंने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिए थे। उन्होंन भी नामांकन दाखिल किया है, हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मना रहे है।
पलटी मार कर आए शुक्ला के खिलाफ दरबार
महू विधानसभा सीट पर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए रामकिशोर शुक्ला को टिकट दे दिया। इस बार से पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार नाराज है। दरबार लगातर तीन चुनाव महू सीट से हार चुके है, लेकिन वे फिर मैदान में है और नामांकन दाखिल कर चुके है। दरबार की भी मैदानी पकड़ अच्छी है। यदि वे मैदान में हटे रहते है तो फिर महू में चुनाव रोचक हो जाएगा। भाजपा ने महू में दोबारा उषा ठाकुर को टिकट दिया है।
सांसद पुत्र ने भी कायम रखी राजनीतिक अदावत
खंडवा के सांसद रहे नंदकुमार चौहान और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के बीच की राजनीतिक अदावत किसी से छुपी नहीं थी। चौहान के निधन के बाद लगा था कि अब पार्टी को निमाड़ में गुटबाजी का नुकसान नहीं होगा,लेकिन पिता के निधन के बाद उनके बेटे हर्ष चौहान ने राजनीतिक दुश्मनी को बरकरार रखा है। भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस के सामने हर्ष ने नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है, वे भाजपा के वरिष्ठ नेताअेां की बात सुनने के लिए भी तैयार नहीं है। यदि वे नामांकन वापस नहीं लेते है तो बुरहानपुर में त्रिकोणीय मुकाबला चुनाव को अलग रंग देगा।
दोबारा बागी हुए पूर्व विधायक जेवियर
झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में भूरिया परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस बार प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत फिर मैदान में है और पूर्व विधायक जेवियर भी बागी बनकर पर्चा भर आए है। आप पार्टी भी उनसे संपर्क में है। वर्ष 2018 के चुनाव में भी जेवियर ने वोट काटकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था। तब भाजपा के गुमान सिंह चुनाव जीत गए थे।
गुमान के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जेवियर को मना लिया था और विधानसभा चुनाव में टिकट देने का आश्वासन दिया था। नेता वादा भूल गए और जेवियर फिर मैदान में है। जोबट सीट से भाजपा के पूर्व विधायक माधो सिंह डावर ने भी बागी उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वे भाजपा उम्मीदवार विशाल रावत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे है।
सखेलचा की राह भी नहीं आसान
जावद विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक रहे अेामप्रकाश सखलेचा की राह इस बार आसान नजर नहीं आ रही है। इस सीट पर हमेशा बागी ही खेल बिगाड़ते है। पिछली बार कांग्रेस के समुंदर पटेल बागी चुनाव लड़े थे,लेकिन इस बार बगावत का झंडा भाजपा के पूरणमल अहिरवार ने उठा रखा है। अब देखना है कि वे सखेलचा को चुनाव में कितना नुकसान पहुंचाते है। सखलेचा के सामने इस बार कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए समुंदर पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।