
शेखावत और दत्तीगांव फिर आमने सामने।
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मालवा निमाड़ के धार जिले की बदनावर सीट पर इस विधानसभा चुनाव में गजब का संयोग बना है। जो उम्मीदवार वर्ष 2013 और वर्ष 2018 के चुनाव में सामने सामने थे, वे इस चुनाव में भी है, बस पार्टी अलग-अलग है। दोनों ने एक दूसरे के पुराने दलों की सदस्यता ले ली और पार्टियों ने भी उन्हें टिकट देकर एक बार फिर सामने सामने कर दिया। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी इस संयोग पर चुटकियां लेते नहीं थकते और कहने लगते है-प्रत्याशी वहीं, पार्टी नई।
संयोग के साथ इस सीट पर रोचकता भी बरकरार है,क्योकि क्षेत्र के मतदाताअेां का राजनीतिक मिजाज भी हर चुनाव में अलग रहता है और लगातार एक ही विधायक को दोबारा मौका नहीं देते, हालांकि भाजपा प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव वर्ष 2018 और 2020 के उपचुनाव में लगातार जीते है।
वर्ष 2013 में भाजपा के भंवर सिंह शेखावत ने कांग्रेस के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को चुनाव हराया था और विधायक बन गए थे। शेखावत इंदौर में रहते है और तब चुनाव लड़ने के लिए उन्हें 20 दिन का समय मिला था।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में दत्तीगांव ने शेखावत को हरा दिया, लेकिन डेढ़ साल बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। उस चुनाव में भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले राजेश अग्रवाल की भी पार्टी में वापसी हो गई थी। इससे शेखावत नाराज हो गए थे और पार्टी के वरिष्ठ नेताअेां के खिलाफ मोर्चा खोल लिया था।
टिकट का प्रस्ताव मिलने के बाद थामा कांग्रेस का दामन
शेखावत को कांग्रेस से बदनावर सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद शेखावत ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और अब बतौर कांग्रेस प्रत्याशी वे दत्तीगांव के सामने है, जबकि दत्तीगांव अब भाजपा प्रत्याशी है। दोनो उम्मीदवारों के साथ ज्यादातर वे कार्यकर्ता भी है, जो दल बदल कर आए और नई पार्टी के लिए काम कर रहे है।