
झांसी शहर का सुंदर नजारा
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एक तरफ जहां प्रदेश भर के ज्यादातर बड़े-बड़े महानगरों की आबोहवा जहरीली हो चुकी है। लोगों की सांस फूल जा रही है। वहीं, झांसी वासी सुकून की सांस ले रहे हैं। मंगलवार को यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 137 रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट बनने, ई-बसें चलने और दिल्ली में अधिक बारिश होने की वजह से एक्यूआई अभी कम है।
अक्सर अक्तूबर में दिल्ली, यूपी समेत देश के राज्यों के महानगरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। अगर प्रदेश की बात करें तो मंगलवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद पहले पायदान पर रहा। यहां एक्यूआई 300 से अधिक पहुंच जाने से ये रेड जोन में आ गया।
वहीं, नोएडा, मेरठ और लखनऊ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से अधिक यानी ऑरेज जोन में पहुंच गया। ये वो स्थिति होती है, जब हवा जहरीली होने से लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। वहीं, कानपुर, प्रयागराज, आगरा आदि शहरों में एक्यूआई लाल निशान पर पहुंचने की दहलीज पर पहुंच चुका है।
मगर झांसी ऐसा शहर है, जहां एक्यूआई की स्थिति संतोषजनक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को झांसी का अधिकतम एक्यूआई 137 रहा। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग की डॉ. स्मृति त्रिपाठी का कहना है कि दिल्ली से आने वाली हवाएं भी झांसी में प्रदूषण लेकर आती हैं।