मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश की कुल सीटों में इनकी हिस्सेदारी 20.5 प्रतिशत है। देश की जनजाति की आबादी का 21 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश में निवास करता है।  

प्रदेश के अंचलों की बात करें तो जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित इन 47 सीटों में से सबसे अधिक 22 सीटें मालवा-निमाड़ में आती हैं। इसके बाद महाकौशल में 13, विंध्य में नौ और मध्य भारत में तीन सीटें आती हैं। इस हिसाब से मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से 46.8 प्रतिशत मालवा-निमाड़ में पड़ती हैं। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मालवा-निमाड़ में आदिवासी वोटरों को प्रभावित करने के लिए हर पार्टी भरसक प्रयास कर रही है। 



पिछले तीन चुनावों से मिलते हैं यह संकेत

पिछले तीन चुनावों की बात करें तो जिस दल ने मालवा-निमाड़ की आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया, उसकी ही सूबे में सरकार बनी है। 2008 में भाजपा ने प्रदेश में आरक्षित 47 में से 29 और 2013 में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2018 में भाजपा को इनमें से 16 स्थानों पर ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस ने 30 स्थानों पर सफलता प्राप्त की और इस तरह प्रदेश में सत्ता में लौटी। कमलनाथ प्रदेश के मुखिया बने थे। हालांकि, बाद में कुछ विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करते हुए पार्टी छोड़ी और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था।


विंध्य पर रहेगी नजर

विंध्य की नौ आदिवासी सीटों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई में शहडोल दौरा किया था। उन्होंने इस दौरान आदिवासियों से संवाद भी किया था। इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोहनखेड़ा आकर सीधे-सीधे मालवा-निमाड़ की 22 आदिवासी सीटों के साथ-साथ अन्य 44 सीटों को साधने का प्रयास किया। 


निर्दलीय भी जीत रहे चुनाव

अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को लेकर दिलचस्प पहलू यह है कि पिछले तीन चुनावों से निर्दलीय उम्मीदवार लगातार चुनाव में जीत रहे हैं। 2008 में टिमरनी से संजय शाह मकड़ाई, 2013 में थांदला से कलसिंह भावर और 2018 में भगवानपुरा केदार चीड़ाभाई डावर जीते थे। 

 


आदिवासी सीटों की रोचक जानकारी

  • 2008 में टिमरनी से निर्दलीय संजय शाह मकड़ाई जीते थे। 2013 में संजय शाह भाजपा से चुनाव लड़े और जीते। संजय शाह हरदा की मकड़ाई रियासत से हैं।
  • 2013 में कलसिंह भावर को थांदला से भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। 2003 में वे भाजपा से चुनाव जीते थे। 
  • 2018 में मालवा-निमाड़ में अजजा क्षेत्रों में डाले गए मतों में से कांग्रेस को 35 लाख 27 हजार 225 मत तो भाजपा को 31 लाख 82 हजार 487 मत मिले थे। इस तरह कांग्रेस को 34 हजार 478 अधिक मत प्राप्त हुए थे।




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