Railway investigation committee also gave clean chit to RPF on Sampark Kranti urination scandal

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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यूपी संपर्क क्रांति में बुजुर्ग वैज्ञानिक और उनकी पत्नी पर पेशाब करने के मामले में आरपीएफ आरोपी युवक को पहले ही थाने से छोड़ा जा चुका है। अब रेलवे की जांच कमेटी ने इस मामले में युवक पर की गई कार्रवाई के नाम पर आरपीएफ को भी क्लीन चिट दे दी है। अब इसे रेलवे एक्ट का कानून कहें या फिर लीपापोती, फिलहाल इस पूरी घटना के दौरान पीड़ित वैज्ञानिक दंपती आह्त रहे।

ट्रेन में आरपीएफ ने दंपती पर किया था पेशाब

उनका कहना कि रेलवे को ऐसे कृत्य को गंभीर अपराध की श्रेणी में लाना चाहिए। पिछले सप्ताह बुधवार को यूपी संपर्क क्रांति के एसी कोच में बीएचयू के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डा. जीएन खरे और उनकी पत्नी ऊषा यात्रा कर रहे थे। वह हरपालपुर से दिल्ली जा रहे थे। यात्रा के दौरान उसी कोच में बैठे शराब के नशे में धुत दिल्ली निवासी युवक रितेश ने उनके ऊपर पेशाब कर दिया।

दंपती ने की थी टीटीई से युवक की शिकायत

दंपती के बार-बार टोकने के बाद भी युवक नहीं माना। वह काफी देर तक उन्हें इसी तरह परेशान करता रहा। इससे गुस्सा होकर दंपती ने ट्रेन में मौजूद टीटीई से युवक की शिकायत की थी। इसके बाद युवक को झांसी में गिरफ्तार किया गया। और कुछ ही देर बाद थाने से छोड़ दिया गया। आरपीएफ की इस कार्रवाई पर पीड़ित वैज्ञानिक दंपती की ओर से गहरी नाराजगी जताई गई।

बड़े अधिकारियों को सौंपा गया जांच का जिम्मा

ऐसे में मामले को तूल पकड़ता देख डीआरएम ने आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट और असिस्टेंट कॉमर्शियल मैनेजर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमेटी ने पीड़ित पक्ष, रेल स्टाफ और सह यात्रियों के बयान दर्ज कर अपनी रिपोर्ट रेल प्रशासन को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेन में तैनात टीटीई ने मेमो आरपीएफ को दिया था। इस आधार पर आरपीएफ ने रेलवे एक्ट के तहत आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में नियमानुसार, उसे जमानत दे दी गई। 

आरपीएफ ने रेल एक्ट के अनुसार ही कार्रवाई की। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पीड़ित पक्ष ने अपनी ओर से किसी भी तरह की शिकायत करने से मना कर दिया। जबकि वैज्ञानिक ने इस मामले में रोष जताया है। कमेटी ने जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें पीड़ित पक्ष ने आरोपी के खिलाफ हुई कार्रवाई पर प्रतिक्रिया न देते हुए ऐसी घटना पर रोष जताया है। रिपोर्ट में आरपीएफ द्वारा नियमानुसार जमानत दिए जाने को भी बिन्दुवार इंगित किया गया है। – विवेकानंद नारायण, आरपीएफ कमांडेंट

हमारे साथ जो हुआ, वह बिल्कुल ठीक नहीं: वैज्ञानिक डॉ. खरे

वैज्ञानिक डॉ. जीएन खरे ने कहा कि हमारे साथ जो हुआ, वह बिल्कुल ठीक नहीं था। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। रेलवे को भी ऐसे कृत्य (किसी पर पेशाब करना) को गंभीर अपराध की श्रेणी में लाना चाहिए। रेलवे एक्ट में संशोधन करके इस तरह के अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए। रेलवे अफसरों को अपनी ओर से भी ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की पहल करनी चाहिए।



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