Supreme court bar association judges leave online hearing

इंदौर
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर

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देश के सभी वकील सेंट्रल एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट चाहते हैं। इसके लिए सभी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की दिल्ली में दिसंबर में मीटिंग होगी। अगर वकीलों पर हमला होता रहा तो देश में न्याय मिलना मुश्किल होगा। यह बातें ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर आदेश सी अग्रवाल ने इंदौर में पत्रकारों से चर्चा में कहीं।

 

उन्होंने कहा कि राजस्थान असेंबली में प्रोटेक्शन एक्ट पास हुआ पर नहीं बन पाया। हम राज्यों में अलग अलग बिल नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं की वकील पर प्रोफेशनल ड्यूटी के समय अटैक हुआ तो तीन महीने में ट्रायल पूरा होना चाहिए। इसके लिए एक सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट बिल ही जरूरी है।

 

अभी सुप्रीम कोर्ट में 190 दिन काम होता है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन छुट्टियां कम करने के लिए रिजॉल्यूशन ला रहा है। यह सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर में पेश होगा। पहले अंग्रेज वकील बाहर जाते थे तब कई महीने लगते थे छुट्टियों के लिए। अब ऐसा नहीं होता है, इसलिए अब छुट्टियां कम करेंगे। वकील की इनकम कम है इसलिए उन्हें छुट्टियों से बहुत परेशानी होती है। 200 दिन कम से कम काम होना चाहिए। धीरे धीरे इसे और भी बढ़ाएंगे। वकील जितने दिन काम करेंगे कमाई ज्यादा होगी। 

 

देश भर में ऑनलाइन सुनवाई होगी अब

सुप्रीम कोर्ट कह चुका है की देश के सभी हाई कोर्ट और जिला कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू करना है। यह धीरे धीरे सभी जगह लागू हो रहा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की वकील घर से सबूत पेश कर सकते हैं। सभी का समय बचता है और ट्रांसपोर्टेशन भी कम होता है। जज, वकील और पक्षकार सभी ऑनलाइन सुनवाई में भाग ले सकते हैं। 

 

जजों के नाम भेजने से पहले कॉलेजियम, जनता और वकीलों से भी राय लें

कॉलेजियम जज बनाने के लिए जो भी नाम भेजते हैं उन नाम को जनता के बीच में सार्वजनिक करना चाहिए और उन नाम पर जनता की और वकीलों की राय लेना चाहिए। खुफिया एजेंसियों को जजों के बारे में हर जानकारी नहीं होती है। हो सकता है कि जनता कोई ऐसी जानकारी पहुंचा दे जो कॉलेजियम को जानना जरूरी हो। यदि एक बार गलत जज नियुक्त हो गया तो उसे हटाना बहुत अधिक मुश्किल होता है।

कॉलेजियम जो नाम दे रही है उनका नाम पब्लिक में देना चाहिए। जिसे उन नामों पर शिकायत है, वो शिकायत दे सकता है। इस पर वकीलों से भी राय लें। कॉलेजियम द्वारा भेजे गए जजों के नाम अटकने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा पर रिस्क होने पर ही सरकार कॉलेजियम के नाम रिजेक्ट करती है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि केंद्र सरकार किसी दूसरी मंशा से जजों के नाम रोकती है। पूरी जांच पड़ताल के बाद ही जजों के नाम फाइनल किए जाते हैं इसलिए इसमें समय लग जाता है।



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