
शिवराज के बयानों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
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मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके शिवराज सिंह चौहान सभाओं में लगातार भावुक हो रहे हैं। बातों-बातों में ऐसे संकेत दे रहे हैं कि अटकलों का बाजार गर्मा जाता है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी ने उन्हें विदाई का संकेत दे दिया है? इस पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश में सभा लेते हैं तो विकास की बात करते हैं, योजनाओं की बात करते हैं लेकिन शिवराज को भुला देते हैं। कहते हैं कि हमारी सरकार ने यह किया है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिछले छह दिन में दिए पांच बयान वायरल हो रहे हैं। इन्होंने मध्य प्रदेश की सियासत का पारा चढ़ा दिया है।
कब क्या बोले मुख्यमंत्रीः
1 अक्टूबरः सीहोर के लाड़कुई में कहा कि ‘भैया चला जाएगा तो बहुत याद आएगा’।
3 अक्टूबरः सीहोर के ही बुधनी में पूछा- ‘मैं चुनाव लड़ूं या नहीं? यहां से लड़ू या नहीं?’
4 अक्टूबरः बुरहानपुर में कहा- ‘मैं देखने में दुबला-पतला हूं, पर लड़ने में तेज हूं।
5 अक्टूबरः जबलपुर में मोदी की मौजूदगी में पूछा-‘बताओ मैंने सरकार अच्छे से चलाई या नहीं?
6 अक्टूबरः डिंडौरी में जनता से पूछ लिया- ‘मैं अच्छी सरकार चला रहा हूं या बुरी? मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?’
बयानों को समझने के लिए चाहिए गहरी दृष्टि
लगातार विदाई के संकेत देते शिवराज से जब भोपाल में इसका आशय पूछा गया तो एक लाइन में ही सबकुछ कह गए। उन्होंने कहा- ‘इसे समझने के लिए गहरी दृष्टि चाहिए’। इतना कहकर वे निकल गए। इससे रहस्य और गहरा गया कि चुनावों के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा? शिवराज बने रहेंगे या हटेंगे?
योजनाएं पसंद लेकिन शिव-राज नहीं?
इस बार के विधानसभा चुनाव भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2023 में अब तक मध्य प्रदेश के नौ दौरे कर चुके हैं। अपनी जनसभा में प्रधानमंत्री केंद्र और राज्य की बात तो करते हैं लेकिन शिवराज का नाम नहीं लेते। वे कहते हैं कि यह सब हमारी सरकार ने किया है। इससे इन अटकलों को बल मिल रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय नेतृत्व ने साइडलाइन कर दिया है।
तीन बार शिवराज चेहरा, इस बार नहीं
भाजपा में मुख्यमंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट करने का रिवाज नहीं था। 2003 में पहली बार पार्टी ने मध्य प्रदेश का चुनाव उमा भारती का चेहरा सामने रखकर लड़ा था। नतीजा यह हुआ कि भाजपा ने 230 में से 173 सीटों पर जीत हासिल की थी। फिर एक वारंट के चक्कर में उमा को कुर्सी छोड़नी पड़ी और उनकी जगह केयरटेकर मुख्यमंत्री बने बाबूलाल गौर को पार्टी ने हटाया। तब जाकर शिवराज को कुर्सी मिली थी। उसके बाद 2008, 2013 और 2018 में पार्टी ने शिवराज का चेहरा दिखाकर ही चुनाव लड़ा। इस बार चुनाव किसी चेहरे पर नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के कामों पर लड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री खुद जनसभा में कह चुके हैं कि ‘पार्टी का चेहरा कमल का फूल है’।
मुख्यमंत्री पद के बढ़ रहे हैं दावेदार
भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को चुनाव लड़ाया है। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल का नाम शामिल हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनाव मैदान में उतारा गया है। तीनों को मुख्यमंत्री की कुर्सी का तगड़ा दावेदार बताया जा रहा है। विजयवर्गीय तो मंच से बोल चुके हैं कि सिर्फ विधायक बनने नहीं लड़ रहा हूं चुनाव। बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। अब अन्य इलाकों से भी दावेदार सामने आ रहे हैं। लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने सागर में यह कहकर चौंका दिया कि मेरे गुरुजी ने एक और चुनाव लड़ने की आज्ञा दी है। इस बार सीएम का प्रोजेक्टेड चेहरा नहीं है। शायद भगवान का ही संदेश है जो गुरुजी दे रहे हैं।
ऐसे बयानों के पीछे शिवराज की मंशा क्या है?
मुख्यमंत्री ने जिस अंदाज में बयानों पर सफाई दी है, वह कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या शिवराज जनता के बीच जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय नेताओं के सामने अपनी ताकत दिखा रहे हैं? इस ‘गहरी दृष्टि’ के मायने क्या हैं? लंबे अरसे से भाजपा को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया ने कहा कि शिवराज सबसे पहले भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता हैं। उनके साथ पार्टी चुनाव लड़ रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि पार्टी तय करेगी कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इस समय तो इतना ही कहा जा सकता है कि पार्टी मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के काम और योजनाओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और उनके काम पर चुनाव लड़ रही है। फिलहाल शिवराज के इन बयानों को उनके विदाई भाषण कहना जल्दबाजी होगी।
पीएम पर दबाव बनाने शिवराज जनता से पूछ रहे…
पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मध्य प्रदेश भाजपा में हताशा चरम पर है। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लेना बंद कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर कर दिया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लिए पहले तो मुख्यमंत्री ने जनता के बीच यह पूछना शुरू किया कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं और अब सीधे पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री होना चाहिए या नहीं। नाथ ने कहा कि पीएम और सीएम की जंग में, भाजपा में जंग होना तय है। वहीं, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा के टिकट पर निर्भर नहीं है। शनिवार को भोपाल में एक कार्यक्रम में शामिल होने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवराज भाजपा के मुख्यमंत्री बनाने पर भी निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सीधे चुनाव लड़ना चाहते और मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।