इंदौर के गोम्मटगिरी gommatagiri तीर्थ पर जैन समाज मंदिरों की जमीन को लेकर आमने सामने आ गए हैं। लंबे समय से चल रहे विवाद ने अब बड़ा रूप ले लिया है और कलेक्टर और भाजपा नेताओं को समझाइश के लिए बीच में उतरना पड़ा है। शुक्रवार देर रात इंदौर कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. और भाजपा महासचिव एवं विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक की। इसमें गुर्जर समाज और गोम्मटगिरी ट्रस्ट के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। रेसीडेंसी कोठी में यह बैठक गुरुवार रात 11 बजे से शुरू हुई जो देर रात 2 बजे तक चलती रही। बैठक में विधायक रमेश मेंदोला भी मौजूद रहे।

बैठक में उपस्थित गोम्मटगिरी तीर्थ ट्रस्ट के प्रतिनिधि ने बताया कि लंबे समय से चल रहे विवाद पर दोनों समाजों के बीच आपसी सहमति बन गई है। रेसीडेंसी में हुई बैठक के दौरान ट्रस्ट की ओर से सौरभ पाटोदी, डीके जैन, निर्मल सेठी, दीपक जैन और गुर्जर समाज की ओर से रघुवीर, लच्छीराम, शकुंतला गुर्जर के साथ गोपाल गुर्जर, प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे। हालांकि प्रशासन की ओर से अभी इस विवाद के सुलझने पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। 



क्या है विवाद

गोम्मटगिरी पर जैन समाज ने भगवान बाहुबली की प्रतिमा स्थापित की गई है। वहीं पास में देव नारायण भगवान का मंदिर है जो गुर्जर समाज की आस्था का मुख्य केंद्र है। नीचे सड़क से ऊपर जैन तीर्थ तक जाने के लिए सीढ़ीदार रास्ता बना हुआ है। इसी रास्ते के पास से गुर्जर समाज देव नारायण मंदिर तक आने के लिए एक रास्ता चाहता है। पहले इस एकमात्र रास्ते से ही गुर्जर समाज के भक्त भी देवनारायण मंदिर तक आते थे लेकिन बाद में इसे जैन समाज ने बंद कर दिया था। जैन समाज का कहना है कि रास्ते के बीच में आने वाली जमीन जैन समाज की है जो वे नहीं देना चाहते। वहीं गुर्जर समाज का कहना है कि पहाड़ी पर जैन समाज ने गलत तरीके से कब्जा किया है। यह पहाड़ी सदियों से देव नारायण टेकरी के नाम से जानी जाती थी और वहां पर देव नारायण भगवान का मंदिर लगभग 200 साल से स्थापित था। जैन समाज का मंदिर मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के शासनकाल में बना और इसके बाद पहाड़ी का नाम भी बदलकर गोम्मटगिरी कर दिया गया। विवाद के बाद प्रशासन ने यहां पर जैन और गुर्जर समाज द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्य को रुकवा दिया है। दोनों ही पक्षों ने मामला हाईकोर्ट में लगा रखा है। बीच बीच में दोनों पक्षों में लगातार विवाद होते रहते हैं जिसकी वजह से प्रशासन और राजनेताओं को भी हस्तक्षेप करना पड़ता है। 




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