
रोड पर प्रसव के बाद महिला को ले जाते परिजन
– फोटो : रूपेश कुमार
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नौ महीने तक बच्चे को पेट में रखा, सपना था कि बच्चे की किलकारी सुन सब दर्द भूल जाऊंगी, पर रात 12 बजे सपना टूट गया। ऑटो से परिजन प्रसूता को महिला अस्पताल ले जा रहे थे। 3 अक्टूबर देर रात तालानगरी में प्रसव पीड़ा तेज हो गई और सड़क पर ही उसका प्रसव कराना पड़ा। 4 अक्टूबर की सुबह नवजात शिशु की मौत हो गई। महिला के पति का आरोप है कि समय पर एंबुलेंस सेवा नहीं मिली।
सत्य प्रकाश निवासी जिरौली धूमसिंह की पत्नी आशा अतरौली की बिजोली सीएचसी में भर्ती थी। मंगलवार की रात उनकी हालत बिगड़ गई। जिसके बाद परिजन उन्हें प्राइवेट ऑटो से महिला चिकित्सालय लेकर आ रहे थे। तालानगरी के पास महिला को प्रसव पीड़ा उठी। इस दौरान उनके साथ आ रही महिलाओं ने सड़क पर ही महिला का प्रसव कराया।
आसपास से गुजर रहे लोगों ने महिला को फिर से ऑटो में बैठाने में मदद की। इसके बाद परिजन ऑटो से प्रसूता और बच्चे को महिला चिकित्सालय ले गए। बुधवार की सुबह नवजात शिशु की मौत हो गई। पति सत्यप्रकाश का आरोप है कि अतरौली अस्पताल से एंबुलेंस न मिलने के कारण वह प्राइवेट ऑटो में मरीज को लेकर आ रहे थे। जिसके कारण यह घटना हुई है।
पहले अस्पताल में प्रसव का दावा, फिर बोले दूसरा हो सकता है केस
महिला के सड़क पर प्रसव के मामले में स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि प्रसव अस्पताल में हुआ है। 102 व 108 एंबुलेंस के नोडल अधिकारी मो. अरशद ने बताया कि महिला को उसके घर से बिजौली सीएचसी पर लाया गया, जहां उसे प्रसव हुआ, बच्चे में हालत नाजुक थी। डॉक्टरों ने उसे महिला अस्पताल रेफर किया था। जिसके बाद एंबुलेंस से नवजात को और उसकी मां को महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।
इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने मांग दोबारा एंबुलेंस को अतरौली ले जाने को कहा। लेकिन, शव वाहन न होने के कारण परिजनों ने नाराजगी जाहिर की। बाद में वह प्राइवेट साधन से ही अतरौली चले गए। तालानगरी में सड़क पर हुए प्रसव के प्रत्यक्षदर्शियों और तस्वीरों का हवाला दिए जाने पर उनका कहना है कि यह कोई दूसरा केस हो सकता है। इसकी जांच कराएंगे।