
सीहोर में शिवराज सिंह ने दिया बयान
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को सीहोर में कहा कि ऐसा भैया मिलेगा नहीं तुम्हें, जब जाऊंगा तब याद आऊंगा। दो दिन पहले बोले थे कि मैं वजन बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री नहीं बना हूं। जनता का जीवन बदलने के लिए बना हूं। उनके इस तरह के बयानों पर सवाल भी उठ रहे हैं। क्या उनकी विदाई तय हो गई है? क्या उन्हें यह बता दिया गया है? क्या उन्होंने भी जाने का मन बना लिया है?
इन सवालों का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। इतना तय है कि भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट आने के बाद से ही हालात बदल गए हैं। भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गनसिंह कुलस्ते समेत सात सांसदों को टिकट दिए। फिर राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी चुनाव मैदान में उतार दिए गए। यह बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि तोमर, पटेल और विजयवर्गीय मुख्यमंत्री की कुर्सी के तगड़े दावेदार हैं। अब तक न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और न ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बोला है कि भाजपा चुनाव जीती तो शिवराज मुख्यमंत्री बनेंगे। शिवराज न तो प्रोजेक्टेड सीएम है और न ही उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा जा रहा है। चुनाव केंद्रीय मंत्रियों- भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में लड़े जा रहे हैं। इस वजह से राजनीतिक पंडित लगातार कयास लगा रहे हैं कि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री कार्यकाल के अंत की शुरुआत है।
क्या कहा शिवराज सिंह चौहान ने?
शिवराज सिंह चौहान एक अक्टूबर को सीहोर जिले के लाड़कुई में थे। उन्होंने लाड़ली बहना सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ऐसा भैया मिलेगा नहीं तुम्हें, जब जाऊंगा तब याद आऊंगा। मैंने मध्य प्रदेश में राजनीति की परिभाषा बदल दी। आपने बरसों तक कांग्रेस का राज देखा। इस पर सोमवार को कमलनाथ ने भी तंज कसा और कह दिया कि उनके झूठ और वादे जरूर याद आएंगे।
शिवराज अपनी सभाओं में कहते हैं कि क्या कभी जनता की ऐसी चिंता देखी थी क्या? मैं सरकार नहीं चलाता हूं। मैं परिवार चलाता हूं। आप सब मेरे परिवार हैं। इमानदारी से बताओ कि मैं भैया हूं कि मुख्यमंत्री हूं? 29 सितंबर को अलीराजपुर और खरगोन में उन्होंने कहा था कि मैं वजन बढ़ाने के लिए कुर्सी पर नहीं बैठा हूं। मैं जनता के लिए काम करने के लिए काम कर रहा हूं। यह सरकार आम जनता की जिंदगी बदलने का प्रयास कर रही है।
क्या शिवराज की विदाई तय हो गई है?
संकेत तो इसी तरह के मिल रहे हैं। भाजपा इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांग रही है। उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में तोमर, विजयवर्गीय और पटेल के नाम आने के बाद भी यह साफ है कि पार्टी उनमें से किसी एक को मुख्यमंत्री बना सकती है। जब विजयवर्गीय ने इंदौर में अपना चुनाव अभियान शुरू किया तो उनके समर्थकों ने भावी मुख्यमंत्री के तौर पर उनके पक्ष में नारेबाजी की। फिर तोमर को भी मीडिया के इन्हीं सवालों का जवाब बार-बार देना पड़ रहा है। पटेल तो 2005 से ही शिवराज के प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखे जा रहे हैं।
टिकट वितरण से लेकर चेहरों तक
इस बार टिकट वितरण पर पूरी तरह से केंद्रीय हाईकमान की छाप दिख रही है। 2018 में शिवराज ने कई विधायकों के टिकट काटे थे। अपने मनमुताबिक टिकट बांटे थे। जब चुनावों में हार हुई तो विजयवर्गीय पहले शख्स थे, जिन्होंने खुलकर कहा था कि टिकट वितरण से उपजा असंतोष हार की बड़ी वजह बना है। इसका असर यह हुआ कि 2023 के विधानसभा चुनावों के टिकट तय हुए तो ज्यादातर ऐसे नाम थे, जिन्हें 2018 में टिकट नहीं दिया गया था। बात भोपाल में ध्रुव नारायण सिंह की हो या महेश्वर में राजकुमार मेव के टिकट की, दोनों ही इसके उदाहरण हैं। ऐसे दसियों नाम अब तक सामने आए हैं।