Sudipti, who won gold medal in the Asian Games, said - ready to struggle throughout her life for the victory o

स्वर्ण पदक विजेता सुदीप्ति हजेला
– फोटो : amar ujala digital

विस्तार


चीन में हुए एशियन गेम्स में घुड़सवारी में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली इंदौर की सुदीप्ति हजेला अपनी सफलता का श्रेय उनके परिवार, परिचित और दोस्तों को दिया है। सुदीप्ति का कहना है कि सफलता पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होता है। संघर्ष की लिस्ट भी बड़ी लंबी है। कुछ हासिल करने के लिए कई छोटी बड़ी कठिनाईयां आती है।

सुदीप्ति ने बताया कि जिस मुकाम तक पहुंची, उसके लिए मुझे परिवार से चार पांच साल से अलग रहना पड़ा। यह मेरे लिए सबसे बड़ा संघर्ष है। मैने कम उम्र में ही राइडिंग शुरू कर दी थी। किशोरवय की नार्मल लाइफ के बजाए स्पोर्टसमैन की तरह जीवन जीना भी अपने आप में कठिन होता है। कभी मन में ख्याल आता था कि मैं ये नहीं कर पा रही हुं, वो नहीं कर पा रही हुं, लेकिन मेरा संघर्ष सिर्फ इस पदक को पाने के लिए था, जो मैने नहीं, भारत ने जीता है। भारत के लिए तो मैं जीवन भर संघर्ष करने के लिए तैयार हुं।

सुदीप्ति ने कहा कि मुझे जो सफलता मिली है। उसकी खुशी मुझसे ज्यादा मेरे माता-पिता, भाई बहन और मेरे परिवार को स्पोर्ट करने वालों को है। एक स्पोर्टसमैन को तैयार करने में पूरा परिवार जुटता है। वे बताती है कि सफलता पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। मेरे साथ मेरे परिवार का संघर्ष भी रहा। मुझे प्रशिक्षण दिलाने में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी।

दूसरा घोड़ा खरीदना पड़ा  

सुदीप्ति ने बताया कि मैने कोविड के पहले घोड़ा खरीदा था, लेकिन उसके पैर में घाव हो गया था, इसलिए वह स्पर्धा में भाग नहीं ले सकता था। हमने फिर ताबड़तोड़ फ्रांस जाकर मेरे ट्रेनर के साथ एक नया घोड़ा खरीदा था, जो स्पर्धा में मेरे साथ था। फिलहाल वह घोड़ा फ्रांस में है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *