
मुकादम की मौत के बाद बिलखती पत्नी
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दो माह की मासूम बेटी सायमा को हर रात मुकादम सीने से लगाकर सुलाता था। बृहस्पतिवार रात को भी वह अपने पिता के साथ ही थी। अचानक हादसा हुआ। कुछ समझ नहीं आया। मलबे से जब बाहर निकले तो दोनों को खोज रहे थे…। कुछ देर बाद दोनों बेजान से बाहर निकाले गए। अस्पताल पहुंचने तक आस थी, लेकिन डॉक्टरों ने जैसे ही कहा कि बहुत देर हो चुकी है तो पैरों तले जमीन खिसक गई।
गम में डूबी रुखसाना ने शनिवार को रुंधे गले से दर्दनाक मंजर बयां किया। वह अस्पताल में थीं। मुकादम के बुजुर्ग पिता शब्बीर व अन्य परिजन बेहाल थे। बता दें कि पीजीआई इलाके में बृहस्पतिवार रात निर्माणाधीन अपार्टमेंट का एक हिस्सा तेज धमाके के साथ गिर गया था। मलबे में दबकर मुकादम और उसकी बेटी सायमा की मौत हो गई।
रुखसाना ने बताया कि दो वक्त की रोटी के लिए पूरा परिवार मजदूरी करता है। किराये पर रहते तो ज्यादा पैसा लगता, इसलिए जहां पर काम चलता था वहीं रुक जाते थे। परिवार झोपड़ी में रहता था। दिनभर काम के बाद खाना बनाया। सोते वक्त ही हादसा हुआ। मुकादम व सायमा दोनों एक साथ सोते थे। बृहस्पतिवार को वह आखिरी बार सोए और उठे ही नहीं।
50 हजार रुपये दिए और मदद का आश्वासन दिया
हादसे के बाद कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने मृतक के परिजनों को 50 हजार रुपये अंतिम संस्कार के लिए दिए। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि करीब साढ़े चार लाख रुपये की आर्थिक मदद कंपनी देगी। रोते बिखलते परिजन लौट गए।