
MP Election 2023
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उज्जैन में साल 1998 और 2008 में कल्पना परुलेकर क्षेत्र की विधायक रहीं। लेकिन इसके बाद 2013 और साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो दोनों ही चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की न सिर्फ विजयश्री हुई। बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी को 50,000 से ज्यादा मत प्राप्त हुए। साल 2013 में भाजपा प्रत्याशी बहादुर सिंह चौहान को 71,096 मत प्राप्त हुए थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डॉ कल्पना परुलेकर को महज 7058 मत ही प्राप्त हुए।
वहीं, कांग्रेस पार्टी छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े दिनेश जैन को 50,462 मत प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी बहादुर सिंह चौहान कुल 20,634 वोटों से विजय श्री हुए थे। जबकि विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी के प्रत्याशी बहादुर सिंह चौहान को 70,499 मत प्राप्त हुए थे। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार सरदार सिंह चौहान को 22,478 मत और फिर कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े। दिनेश जैन को 55,279 मत प्राप्त हुए इस चुनाव में भी बीजेपी के प्रत्याशी बहादुर सिंह चौहान कुल 15,220 मतों से विजय श्री हुए थे।
तेज तर्राट नेता थीं डॉ. कल्पना परुलेकर
महिदपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहीं कांग्रेस की तेजतर्राट नेता डॉ. कल्पना परुलेकर अक्सर सुर्खियों में रहती थी। साल 2018 भोपाल की जिला अदालत ने पूर्व विधायक परुलेकर को एक साल की जेल और दो हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। उन्होंने तत्कालीन प्रमुख सचिव भगवान देव इसरानी की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। इस मामले में इसरानी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके पहले भी वे लोकायुक्त नावलेकर को संघ के गणवेश में दिखाते हुए फोटो जारी करने के मामले मे भी परुलेकर को सजा मिली थी।
इन मामलों के साथ ही डॉ कल्पना परुलेकर को किसानों का हमदर्द भी माना जाता था। किसानों से बिजली के नाम पर वसूली हो या फिर मंडी में दाम न मिलने की समस्या हर मुसीबत में डॉ. परुलेकर ही एक ऐसा नाम था, जो लोगों के लिए अनशन पर बैठ जाती थीं और तब तक टस से मस नहीं होती थीं, जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं कर दिया जाता था। डॉ. परुलेकर दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने की मांग को लेकर खुद की सरकार के खिलाफ भी अनशन पर बैठ गई थीं। लेकिन जनवरी 2019 मे गंभीर बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।
बागी बन रहे कांग्रेस की जीत में बाधा
यदि हम सिर्फ साल 2013 और 2018 के चुनाव की ओर ध्यान दें तो स्पष्ट रूप से यह नजर आएगा कि कांग्रेस पार्टी के आलाकमान ने गलत टिकट वितरण किया था, जिसका परिणाम उन्हें चुनाव में साफतौर पर दिखाई दिया। इन दोनों ही चुनाव में कांग्रेस पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े दिनेश जैन ने जहां साल 2013 में 50,462 मत प्राप्त किए। वहीं, साल 2018 के चुनाव में भी उन्हें 55,279 मत प्राप्त हुए। जबकि साल 2013 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त तो हो गई थी। वहीं, 2018 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को महज 22,478 मत ही प्राप्त हुए थे।
विधानसभा में अब मतदाता दो लाख के पार
31 जुलाई 2023 के प्रशासनिक आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलेगा कि महिदपुर विधानसभा क्षेत्र जहां कुल 262 पोलिंग बूथ है। वहां मतदाताओं की कुल जनसंख्या 2,09,169 है, जिसमें से पुरुष 1,06,777 महिला मतदाता 1,02,388 और थर्ड जेंडर की संख्या कुल चार है। महिदपुर विधानसभा की बात की जाए तो इस क्षेत्र में हमेशा से ही सोंधिया समाज चुनाव परिणाम के लिए निर्णायक की भूमिका निभाता है। इस विधानसभा क्षेत्र को सोंधिया बाहुल्य क्षेत्र भी कहा जाता है, जिसके बाद अजा वर्ग और फिर राजपूत समाज के लोग यहां पर बहुत आयात में हैं।
...तो होगा बीजेपी को नुकसान
अब तक के चुनावी समीकरणों पर ध्यान दिया जाए तो इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को क्षेत्र से बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि भले ही या विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता हो, लेकिन इस बार वर्तमान विधायक बहादुर सिंह चौहान को आम जनता नहीं, बल्कि खुद पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी ही पसंद नहीं कर रहे हैं। कभी करणी सेना इनका विरोध करती है तो कभी जन आशीर्वाद यात्रा मे पार्टी तुझसे बैर नहीं बहादुर तेरी खैर नहीं जैसे नारे लगाए जाते हैं। बताया तो यह भी जाता है कि इस क्षेत्र से प्रताप सिंह आर्य भी भाजपा से दावेदारी कर रहे हैं। यदि उनको टिकट नहीं मिलता है और फिर से बहादुर सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया जाता है तो बहादुर के विरोध और प्रताप सिंह आर्य के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान जरूर होगा।
इनसे है महिदपुर विधानसभा की पहचान
महिदपुर विधानसभा क्षेत्र उज्जैन जिले के अंतर्गत आता है, जिसकी पहचान उज्जैन में होने के साथ ही कुछ अलग भी है, क्योंकि इस नगर में आज भी राजा विक्रमादित्य काल का किला मौजूद है, जिसे भस्मा टेकरी के नाम से जाना जाता है। जबकि भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रतीक नारायणा धाम इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। ग्राम धुलेट मे दुजर्धेश्वर महादेव का अतिप्राचीन मंदिर व बाबा बैजनाथ का धाम हो या फिर नगर मे स्थित महालक्ष्मी देवी का मंदिर। हर स्थान महिदपुर को एक अलग ही पहचान देता है। इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट नगर के नाम से मशहूर इस विधानसभा मे सबसे ज्यादा ट्राले भी मौजूद है।
साल 1957 से अब तक यह रहे विधायक
महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में साल 1957 से लेकर अब तक कुल 14 विधायक विभिन्न पार्टियों के रह चुके हैं
- 1957 मे तोताला रामेश्वर दयाल महादेव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1962 में दुगार्दास भगवानदास भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1967 रामचंद्र जनसंघ
- 1972 नारायण प्रसाद शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1977 शिव नारायण चौधरी जनता पार्टी
- 1980 आनंदीलाल छजलानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1985 नाथूलाल सिसोदिया भारतीय जनता पार्टी
- 1990 बाबूलाल जैन भारतीय जनता पार्टी
- 1993 बाबूलाल जैन भारतीय जनता पार्टी
- 1998 डॉ. कल्पना परुलेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 2003 बहादुर सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी
- 2008 डॉ. कल्पना परुलेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 2013 बहादुर सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी
- 2018 बहादुर सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी
रिपोर्ट: उज्जैन से निलेश नागर