उद्योगों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध नागदा विधानसभा वैसे तो भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाती है, लेकिन पिछले 30 वर्षों के इतिहास की ओर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलेगा कि क्षेत्र की जनता भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी को नहीं बल्कि एक ऐसे जनप्रतिनिधि को विधानसभा में पहुंचा रही है, जिस पर उन्हें भरोसा है कि वह उनके हर सुख दुख में काम आएंगे। नागदा से वर्तमान में विधायक दिलीप गुर्जर ऐसे ही जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हे पिछले 30 वर्षों में चार बार जनता ने अपना जनप्रतिनिधि चुना है। क्षेत्र की जनता ने इन्हें 1993 में पहली बार कांग्रेस पार्टी की ओर से अपना विधायक बनाया था, लेकिन इसके बाद 2003 में जब इन्हें टिकट नहीं मिला तो यह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। जिन्हें जनता ने फिर अपना आशीर्वाद प्रदान किया। यही नहीं 2008 हो या फिर 2018 विधानसभा चुनाव में भी जनता ने इन्हें अपना अमूल्य मत देकर विधानसभा तक पहुंचाया। 

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 212 की बात की जाए तो यहां पर कुल 271 पोलिंग बूथ हैं। क्षेत्र के मतदाताओं की ओर यदि ध्यान दिया जाए तो यहां कुल 2,17,826 मतदाता हैं। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,10,785 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,07,029 तथा थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या कुल 12 है। बताया जाता है कि यह वही नगर है जहां पांडवों के पौत्र राजा जन्मेजय द्वारा नागों के दाह के लिए एक विशाल यज्ञ किया गया था। इसीलिए इस नगर का नाम नागदा हुआ। इस विधानसभा को पहले खाचरोद विधानसभा के नाम से जाना जाता था, क्योंकि एक समय में खाचरोद उज्जैन जिले की सबसे बड़ी तहसील थी और नागदा और उन्हेल यहां की ग्राम पंचायत थी लेकिन धीरे-धीरे नागदा में उद्योग आने लगे और यहां सभी व्यवस्थाएं जुटने लगीं, यही कारण रहा कि इस विधानसभा का नाम खाचरोद-नागदा की बजाय नागदा-खाचरोद विधानसभा हो गया। 



यह है नागदा विधानसभा की पहचान

उद्योगों की नगरी के नाम से मशहूर नागदा की पहचान उद्योगों के साथ ही यहां बने बिरला मंदिर और नागदा जंक्शन से भी है, क्योंकि यह एक ऐसा नगर है जहां से सभी गाड़ियां होकर गुजरती हैं। क्षेत्र में चंबल नदी का एक बड़ा बांध भी है। बताया जाता है कि नागदा से होकर जो भी गाड़ियां गुजरती है। इन सभी ट्रेनों में यहीं से पानी का स्टोरेज कर दिया जाता है। इन स्थानों के साथ ही जूना नागदा में जुनी कचहरी और घोड़ा पाईगा क्षेत्र ऐसे हैं जो कि इस बात की याद दिलाते हैं कि पूर्व में इन्हीं स्थानों से राजा शासन चलाते थे। 

चुनाव में पिछड़ा वर्ग की रही है महत्वपूर्ण भूमिका 

वैसे तो विधानसभा चुनाव में हर एक वोट कीमती होता है, लेकिन जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो नागदा विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के मतदाता काफी निर्णायक रहे हैं। इन मतदाताओं का साथ अब तक जिस भी पार्टी को मिला है उसे विजय श्री हासिल हुई है। इनके साथ ही ठाकुर और ब्राह्मण समाज भी क्षेत्र में निर्णायक की भूमिका में नजर आते हैं। 


पिछड़ा वर्ग को टिकट मिलेगा, तभी नागदा से जीतेगी भाजपा

भाजपा का गढ़ होने के बावजूद भी नागदा में भाजपा को मिल रही हार को लेकर जब कुछ राजनीतिक विश्लेषकों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि इस सीट से लगातार भारतीय जनता पार्टी सामान्य वर्ग को अपना उम्मीदवार बना रही है। यही उनकी हार का कारण है राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि 1990 में राम मंदिर की लहर के कारण भाजपा के लालसिंह राणावत विजयी हुए थे। ऐसा ही कुछ 2013 में भी दोहराया गया था, जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी। उस समय भाजपा के प्रत्याशी दिलीप शेखावत को जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना था, लेकिन इसके विपरीत कांग्रेस की बात की जाए तो उन्होंने यहां के जातिगत समीकरण को देखते हुए हमेशा से पिछड़ा वर्ग के दिलीप गुर्जर को ही अपना प्रत्याशी बनाए रखा। यही कारण है कि उन्हें भाजपा के मुकाबले विधानसभा चुनाव में अधिक बार जीत मिली। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यदि इस बार भी भाजपा को क्षेत्र से अपने उम्मीदवार को जीताना है तो पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति को टिकट देना होगा। 

ऐसा है 66 वर्षों का इतिहास

नागदा विधानसभा के चुनावी परिणामों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलेगा कि कुल 66 वर्षों में इस सीट पर कुल चार बार कांग्रेस दो बार निर्दलीय प्रत्याशियों को विजयी मिली है। बाकी समय पर यहां भारतीय जनता पार्टी, जनसंघ और हिंदू महासभा के प्रत्याशियों को ही जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना। इस विधानसभा में 1957 में वीरेंद्र सिंह, परवत सिंह, हिंदू महासभा,1962 में भैरव भारतीय स्वतंत्र, 1967 में वी. सिंह भारतीय जनता संघ, 1972 में कुंवर वीरेंद्र सिंह भारतीय जनसंघ, 1977 में पुरुषोत्तम विपत जनता पार्टी, 1980 में पुरुषोत्तम विपत जनता पार्टी, 1985 रणछोड़लाल आंजना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1990 में लाल सिंह भारतीय जनता पार्टी, 1993 में दिलीपसिंह गुर्जर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1998 में लालसिंह राणावत भारतीय जनता पार्टी, 2003 में दिलीप सिंह गुर्जर निर्दलीय, 2008 में दिलीपसिंह गुर्जर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 2013 में दिलीप सिंह शेखावत भारतीय जनता पार्टी व 2018 दिलीप सिंह गुर्जर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्ट से विधायक बने। 


2018 में कम हो गया था जीत का अंतर

नागदा विधानसभा के 2013 के परिणामों की ओर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलेगा कि इस चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। जिसमें से भारतीय जनता पार्टी के दिलीप सिंह शेखावत को 78,036 मत प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी दिलीप सिंह गुर्जर को 61,921 मत मिले थे, जिसमें से भाजपा प्रत्याशी दिलीप सिंह शेखावत कुल 16,115 वोटों से विजयी हुए थे। इनके साथ 2018  में कांग्रेस के दिलीप सिंह गुर्जर को 83,823 मत प्राप्त हुए जबकि भाजपा के दिलीप सिंह शेखावत को 78,706 मत प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस के दिलीप सिंह गुर्जर को 5117 मतों से विजय मिली थी। इस चुनाव में लगभग 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। (रिपोर्ट: नीलेश नागर, उज्जैन) 




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