
भुजाधारी गणेश
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अब तक आपने सैकड़ों गणेश मंदिर देखे होंगे, जिनकी प्रतिमा अतिप्राचीन है। इन मंदिरों में चमत्कार की कहानी भी खूब सुनी होगी, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश में धार्मिक नगरी उज्जैन के चक्रतीर्थ में गणेश मंदिर की। श्मशान घाट में इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री गणेश की अत्यंत चमत्कारी व दुर्लभ प्रतिमा है। इस तरह का मंदिर संपूर्ण विश्व में कहीं और नहीं है।
मंदिर के पुजारी पंडित हेमंत इंगले बताते हैं, चक्रतीर्थ श्मशान घाट स्थित यह मंदिर विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां श्री गणेश श्मशान में विराजमान हैं। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में इसका उल्लेख मिलता है। कहा गया है कि इस मंदिर की स्थापना मंगल ग्रह के द्वारा की गई थी। वैसे तो सभी गणेश प्रतिमाओं के हाथ में लड्डू होते हैं, लेकिन इस 10 भुजाओं वाली प्रतिमा में भगवान श्री गणेश के हाथों में अलग-अलग 10 शक्तियां हैं। इसके साथ ही वह अपनी गोद में पुत्री माता संतोषी को लेकर बैठे हैं और आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।
चमत्कारी है यह गणेश प्रतिमा
भगवान श्री गणेश की यह प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में पांच बुधवार दर्शन पूजन करने से भक्तों की समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं। मंदिर में प्रति बुधवार को भगवान के पूजन-अर्चन व अभिषेक के साथ विशेष आयोजन होते हैं। यहां गणपति उत्सव भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें नगर व प्रदेश ही नहीं, बल्कि भगवान श्री गणेश के भक्त देश-विदेश से आकर शामिल होते हैं।
तांत्रिक करते हैं सिद्धियां पूर्ण
चक्रतीर्थ श्मशान घाट पर सिद्धियों की प्राप्ति के लिए तांत्रिकों द्वारा अनेक अनुष्ठान किए जाते हैं। तांत्रिक श्मशान घाट पर सिद्धियों को प्राप्त तो करते हैं, लेकिन इन सिद्धियों की पूर्णता भगवान गणेश के दर्शनों के बाद ही होती है। तांत्रिक मंदिर में पूजन-अर्चन व दर्शन के बाद ही अपनी सिद्धियों की पूर्णता मानते हैं।
यहां बनाते हैं उल्टा स्वस्तिक
मंदिर में अनेक श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। बताया जाता है कि मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बनाकर कार्य पूर्णता के लिए मनोकामना मांगी जाती है। वहीं, मनोकामना पूर्ण होने पर सीधा स्वस्तिक बनाकर श्रद्धालु भगवान का पूजन- अर्चन करते हैं। उनकी कृपा के लिए धन्यवाद देकर उनका आशीर्वाद बनाए रखने की कामना भी करते हैं।
मंगल ने की थी 14 वर्षों तक तपस्या
मंदिर के पुजारी हेमंत इंगले बताते हैं कि भगवान मंगल ने ही 10 भुजाधारी गणेश की स्थापना की थी और इसी मंदिर पर उन्होंने 14 वर्षों तक तपस्या भी की थी। पुराणों में उल्लेखित है कि 10 भुजाधारी गणेश की तपस्या से उन्हें भगवान अंगारेश्वर की तपस्या करने का ज्ञान प्राप्त हुआ था। जहां 16 वर्षों तक तपस्या करने के बाद भगवान अंगारेश्वर ने उन्हें शिवलिंग के रूप में मंगलनाथ मंदिर में स्थापित होने का आशीर्वाद दिया था। जहां से वह जनकल्याण कर जन-जन की पीड़ा दूर कर रहे हैं।
क्या कहते हैं श्रद्धालु
श्रद्धालु किशोर कुमार छाबड़ा बताते हैं कि भगवान श्री गणेश का यह मंदिर अत्यंत चमत्कारी है। प्रत्येक बुधवार और रविवार को मंदिर में भगवान के दर्शन-पूजन करने जरूर आता हूं। 10 भुजाधारी गणेश में मेरी आस्था है और इन्होंने मेरे सभी कष्टों को दूर कर मनोकामनाओं को भी पूर्ण किया है। श्रद्धालु पुरुषोत्तम नागर ने बताया, मंदिर के बारे में जो सुना वह सही पाया। मैं इंदौर का निवासी हूं और पिछले कई वर्षों से 10 भुजाधारी गणेश के दर्शन करने आ रहा हूं। कुछ वर्षों पूर्व मुझे इस मंदिर के चमत्कारों की जानकारी मिली थी। मैंने भी जब से भगवान श्री गणेश के दर्शन किए हैं तभी से मेरी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो गई है।