
भाजपा और कांग्रेस
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं। इससे पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों दल के नेता तैयारी में जुट गए हैं। अब दोनों ही दलों के नेताओं को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है। इस बीच कांग्रेस पहली और भाजपा ने अपनी दूसरी प्रत्याशियों की सूची को रोक दिया है। माना जा रहा है कि दोनों ही दलों को सूची के बाद असंतुष्टों के आक्रोश फूट पड़ने का डर है, इसलिए कांग्रेस जनाक्रोश यात्रा पूरी होने का और भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा संपन्न होने का इंतजार कर रही है। माना जा रहा है कि दोनों दल अपनी यात्राओं के बाद प्रत्याशियों का एलान कर सकते हैं।
भाजपा ने 13 सितंबर को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक की थी। इसमें करीब 40 नामों पर मुहर लगा दी गई है। हालांकि, इस सूची के नामों की घोषणा भाजपा ने अब तक नहीं की है। जबकि इससे पहले केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के अगले ही दिन भाजपा ने 39 हारी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया था। इसके बाद कई सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध शुरू हो गया था। कई जगह जन आशीर्वाद यात्रा में भी इसका असर देखने को मिला। अब पार्टी भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित कर रही है। इसमें 10 लाख कार्यकर्ताओं का एकजुट करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। पार्टी अब कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद अपनी दूसरी सूची का एलान करने की योजना पर काम कर रही है, ताकि प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद कहीं कोई विरोध प्रदर्शन हो तो उसका कार्यक्रम पर कोई असर ना हो।
कांग्रेस ने भी तय किए नाम
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दे दिया है। लेकिन पार्टी प्रदेश में भाजपा के खिलाफ और अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए जन आक्रोश यात्रा निकाल रही है। 19 सितंबर से पांच अक्तूबर तक निकलने वाली जन आक्रोश यात्रा को पार्टी एकजुटता से निकालना चाहती है। कांग्रेस में भी एक सीट पर कई दावेदार हैं। ऐसे में प्रत्याशियों की घोषणा होने पर विरोध बढ़ेगा। इसका असर जन आक्रोश यात्रा पर पड़ेगा। यही वजह है कि कांग्रेस भी विरोध को रोकने के लिए उम्मीदवारों के नाम का एलान करने से बच रही है। वहीं, कांग्रेस भाजपा की पहली सूची में घोषित प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार को चुनावी खर्च में जोड़ने की मांग कर रही है। इसको लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग को शिकायत भी की है। इसके अलावा कांग्रेस के पास फंड नहीं होने की भी बात कही जा रही है।