
चीता प्रोजेक्ट में फिर आई खामियां सामने
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मध्य प्रदेश में चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा हो गया। अब तक तीन शावक समेत 9 चीतों की मौत हो गई है। अभी 14 चीतें क्वारंटीन बोमा में रखे गए है। इनको अब कुछ दिनों में बड़े बाड़े में छोड़ने की योजना है। इससे पहले चीता प्रोजेक्ट में बड़ी खामियां मिली है। एनटीसीए के अधिकारियों ने चीतों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और मॉनीटरिंग में खामियां मिली है, जिनको सुधारने को कहा गया है।
राष्ट्रीय बाध संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अधिकारियों के एक दल को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन का अध्ययन करने भेजा था। इस दल ने चीतों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और मॉनीटरिंग को लेकर कई बिन्दुओं पर अपनी रिपोर्ट दी। जिसे एनटीसीए ने प्रदेश के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए भेजा। इसके आधार पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी एवं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक मध्य प्रदेश ने शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान के संचालक को पत्र लिखकर कमियों को दूर करने की कार्रवाई करने को कहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि चीतों को पकड़ने की दवाओं और डार्ट्स की कमी थी। या ऐसी दवाईयों का उपयोग किया जा रहा था, जो या तो एक्सपायर या गुणवतापूर्ण नहीं थी। इस संबंध में बातचीत करने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव से उनका पक्ष लेने बात करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
इन पर कार्रवाई करने को कहा
– केंद्रीयकृत मॉनीटरिंग सेंटर स्थापित करने को कहा है। जिसमें ट्रेन स्टाफ के साथ मॉनीटरिंग के लिए सीसीटीवी, रेडिया टेलीमेट्री निगरानी और रिकॉर्ड रजिस्टर रखने को कहा गया है। साथ ही चीता मित्र स्थानीय ग्रामीणों को जोड़ने को कहा गया।
– प्रोजेक्ट में चीता प्रबंधन के लिए बनाया वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मॉनीटरिंग की बोमा में रखने के दौरान और उनको छोड़ने के दौरान कमी पाई गई।
– चीतों का हेल्थ रिकॉर्ड का प्रबंधन करने और दक्षिण अफ्रीका और नामाबिया एक्सपर्ट की सलाह का पालन करने को कहा है।
– हर 15 दिन में सामने आने वाली समस्याओं से अवगत कराने को कहा गया है।
– चीतों को दिए जाने वाले खाने और उसके द्वारा खाए जाने का रिकॉर्ड रखने को कहा गया है।
– चीतों को जंगल में फॉलो करने वाली गाड़ियों में पोर्टेबल फ्रिज रखने को कहा गया, जिससे दवाईयों को बेहतर तरीके से रखा जा सकें।
– चीतों की मॉनीटरिंग के लिए हार्थियों का प्रबंधन हो। ईको टूरिज्म डेवलप करने को कहा गया।
दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई
वाइइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि चीतों की चिकित्सा और पकड़ने में उपयोग हो रही दवाओं की गुणवत्ता पर एनटीसीए की टीम द्वारा प्रश्नचिन्ह लगाना कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन की गंभीर लापरवाही उजागर करता है। सरकार तत्काल कूनों में दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें, जिससे चीता प्रोजेक्ट सफल हो। साथ ही स्थानीय लोगो ंके लिए चीता प्रोजेक्ट में रोजगार मूलक गतिविधियों भी बढ़ाई जाए।
सेंसईपुरा में 55 करोड़ से चीता सफारी होगी शुरू
कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा हो गया है, लेकिन अब तक पर्यटन शुरू नहीं हो पाया है। अब कूनों में चीता सफारी शुरू करने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसको केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की तरफ से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। सबकुछ ठीक रहा तो एक से डेढ़ साल में चीता सफाई शुरू हो जाएगी। अधिकारियों के अनुसार सेंसईपुरा में करीब 125 हेक्टेयर वन भूमि और 56 हेक्टेयर राजस्व भूमि पर इसे विकसित किया जाएगा। यहां तीन से चार चीतों को रखा जाएगा। इसके लिए अलग से चीतों को लाया जाएगा, जिन्हें खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। इस पर करीब 55 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
गांधी सागर अभ्यारण्य और नौरादेही में भी चीतों को बसाने की योजना
केंद्र सरकार कूनो के बाद गांधी सागर अभ्यारण्य ओर नौरादेही अभ्यारण्य में चीतों को बसाने की योजना पर काम कर रही है। हालांकि यहां पर काम की रफ्तार काफी धीमी है। एक्सपर्ट का कहना है कि जरूरत के अनुसार बजट खर्च नहीं किया जा रहा है। दोनों की जगह को डेवलप करने में करीब 450 करोड़ रुपए से ज्यादा की आवश्यकता होगी। वहीं, कूनों में भी एक साल बाद अस्पताल का काम शुरू नहीं हो सका है। वन्यप्राणी चिकित्सक अभी अस्थायी अस्पताल में चीतों का इलाज कर रहे है। नए अस्पताल के लिए दो करोड़ रुपए भी स्वीकृत हो चुके हैं।