उज्जैन दक्षिण के 2013 के चुनाव की बात की जाए तो कुल नौ प्रत्याशी इस चुनाव मैदान में उतरे थे। जिसमें से भारतीय जनता पार्टी की ओर से डॉ मोहन यादव को 73,108 मत प्राप्त हुए थे। जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से जयसिंह दरबार को 63,456 वोट मिले थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के डॉ मोहन यादव को 9,652 मतों से जीत हासिल हुई थी। जबकि 2018 के चुनाव की बात की जाए तो कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवार डॉ. मोहन यादव को 78,178 मत प्राप्त हुए थे। जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से उम्मीदवार राजेंद्र वशिष्ठ को 59,218 मत प्राप्त हुए थे। इस विधानसभा चुनाव के परिणामों में भी भारतीय जनता पार्टी के डॉ. मोहन यादव को 18,960 वोटों से जीत हासिल हुई थी।
उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो प्रशासन के 31 जुलाई 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक कुल मतदाताओं की संख्या 2,51,747 है। जिसमें से पुरुष मतदाता 1,26,986 होने के साथ ही महिला मतदाता की संख्या 1,24,748 व थर्ड जेंडर के रूप में कुल 13 मतदाता हैं। उज्जैन दक्षिण में मतदाताओं के अलावा पूरे चुनाव में निर्णायक की बात की जाए तो शहरी क्षेत्र के साथ ही अपना विधायक चुनने के लिए यहां ग्रामीण क्षेत्रों से मिलने वाले वोट भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 84 गांव भी लगते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में मक्सी रोड, देवास रोड, इंदौर रोड, बड़नगर रोड, चिंतामन रोड के साथ ही फ्रीगंज पुल के दूसरी ओर का पूरा क्षेत्र आता है। जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो उज्जैन दक्षिण विधानसभा में बेरवा समाज, सिंधी समाज, राजपूत समाज और ब्राह्मण समाज बहुतायत के रूप में है।
कांग्रेस के बागी बने हर बार चुनौती
विधानसभा चुनाव 2008 की बात की जाए तो इस समय कांग्रेस पार्टी ने योगेश शर्मा चुन्नू भैया को अपना प्रत्याशी बनाया था जो कि बाहरी प्रत्याशी थे। टिकट न मिलने के कारण इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के ही राजेंद्र वशिष्ठ और जयसिंह दरबार ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसके परिणामों में भले ही भारतीय जनता पार्टी के शिवनारायण जागीरदार विजयी रहे हों, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी जयसिंह दरबार दूसरे नंबर पर आए थे और कांग्रेस के प्रत्याशी योगेश शर्मा चुन्नू भैया की इस चुनाव में जमानत जब्त हो गई थी। विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस पार्टी ने जयसिंह दरबार को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन इस समय भी कांग्रेस के कई लोगों की नाराजगी नजर आई थी और पार्टी के ही कुछ कद्दावर नेताओं ने दरबार का साथ नहीं दिया था, जिसके कारण उन्हें 9,652 वोटों से भाजपा के डॉ. मोहन यादव से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के रूप में राजेंद्र वशिष्ठ को मैदान में उतारा था लेकिन उस समय कांग्रेस पार्टी के जयसिंह दरबार भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतर गए थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जयसिंह दरबार को 19,560 मत प्राप्त हुए थे। जबकि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र वशिष्ठ को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मोहन यादव से 18,960 वोटों के कारण ही पराजय का सामना करना पड़ा था।
विधानसभा चुनाव के 66 वर्षों के अब तक परिणामों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलेगा कि 1957 में अयाचित विश्वनाथ वासुदेव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1962 में हंसाबेन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1967 में गंगाराम भारतीय जनसंघ, 1972 में दुगार्दास सूर्यवंशी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1977 में गोविंदराव विश्वनाथ नाइक, जनता पार्टी, 1980 में महावीर प्रसाद वशिष्ठ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा), 1985 में महावीर प्रसाद वशिष्ठ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1990 में बाबूलाल महेरे, भारतीय जनता पार्टी, 1993 में शिवा कोटवानी, भारतीय जनता पार्टी, 1998 में प्रीति भार्गव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 2003 में शिवनारायण जागीरदार, भारतीय जनता पार्टी, 2008 में शिवनारायण जागीरदार, भारतीय जनता पार्टी, 2013 में डॉ मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी, 2018 में डॉ मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी से विधायक हैं।
रिपोर्टः उज्जैन से नीलेश नागर