अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। जर्मनी के फूल बुंदेलखंड की सूखी जमीन पर किसानों की किस्मत बदलेंगे। यह फूल कम नमी वाले इलाके में भी आसानी से लग जाते हैं। इनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इस वजह से इनको यहां प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। कृषि अफसरों का कहना है कि नवंबर माह से इसकी नर्सरी तैयार होगी।

जर्मनी के शुष्क इलाके में ब्लूकॉन नामक फूल की व्यापक पैमाने पर खेती होती है। यूपी सरकार भी पिछले काफी समय से औद्यानिक खेती को आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके चलते बुंदेलखंड में भी इसे आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई गई है। बुंदेलखंड खास तौर से झांसी, ललितपुर, उरई, बांदा, हमीरपुर आदि जगहों में जलवायु को देखते हुए इसे ब्लूकॉन फूलों की खेती के लिए चुना गया है। ब्लूकॉन के फूलों का प्रयोग दर्द निवारक दवाओं के साथ ही सजावट में होता है। इनकी विदेशों में भी काफी डिमांड है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रति बीघे रोजाना करीब 10-15 किलो फूल का उत्पादन होता है। बाजार में कीमत करीब दो हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। नवंबर माह से इसकी नर्सरी तैयार होने लगती है। फरवरी माह से फूल आने लगते हैं। अप्रैल माह तक इसका सीजन होता है। फूल सुखाकर भी कंपनियों को बेचा जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें एक खास तरह की गंध होती है। इस वजह से अन्ना जानवर भी खेत में नहीं घुसते। डीडी विनय कुमार यादव का कहना है कि बुंदेलखंड में कुछ जगहों पर इसका उत्पादन किसान कर रहे हैं। फायदा होने पर इसे आगे बढ़ाया जाएगा।



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