
पर्यावरण विद डॉ. सुभाष पांडे
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राजधानी भोपाल के बड़े तालाब समेत प्रदेश के अन्य जलाशयों, नदियों आदि में क्रूज और मोटर बोट नहीं चलेंगी। एनजीटी के आदेश के बाद बड़े तालाब में क्रूज का संचालन रोक दिया गया है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा था। 31 किमी में फैले बड़े तालाब में क्रूज का संचालन 12 एक्ट का उल्लंघन कर हो रहा था। इससे तालाबों व जलाशयों की जैव विविधता ‘बॉयोडायवर्सिटी’ प्रभावित हो रही थी। प्रदेश के तालाबों व जलाशयों में क्रूज और मोटर बोट को बैन करने का आदेश एनजीटी ने बीयू के पूर्व प्रोफेसर व पर्यावरणविद डॉ. सुभाष पांडे की याचिका पर दिया है। अमर उजाला ने की डॉ. सुभाष पांडे से बातचीत।
सवाल : अचानक से पर्यावरण को नुकसान होने और याचिका लगाने का आईडिया कैसे आया?
सुभाष पांडे – मेरे पास बड़ी संख्या में भोपाल के मछुआरे आए। उन्होंने बताया कि क्रूज और मोटर बोट चलाने से उनकी आजीविका लगभग समाप्त हो गई है। बड़े तालाब में रसायन छिड़कने और मोटर बोट चलाने से रोज बड़ी संख्या में मछलियां मरती हैं। इसके बाद मैंने मोटर बोट के वॉटर बॉडी में संचालन को लेकर अध्ययन किया और 2022 में एनजीटी में विस्तृत याचिका लगाई। इसमें बड़े तालाब और नर्मदा नदी में प्रदेश की 20 से अधिक जगह प्रतिबंध लगाने की मांग की।
सवाल : आदेश के अनुसार कौन-कौन सी वॉटर बॉडी में क्रूज और मोटर बोट नहीं चलेंगे?
सुभाष पांडे- अभी आदेश के अनुसार मध्य प्रदेश की समस्त वॉटर बॉडी में वर्तमान स्वरूप की समस्त मोटर बोट का संचालन प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि ये सभी मोटर बोट डीजल या पेट्रोल द्वारा संचालित हैं। अपने विस्तृत ऑर्डर में एनजीटी ने मध्य प्रदेश की सभी वॉटर बॉडी को दो भागों में बांट दिया है। एक वह जिन्हें वेट लैंड कहा जाता है। जिन पर वेटलैंड रूल्स 2017 एवं वेट लैंड रूल्स गाइडलाइन 2020 सीधे लागू होते हैं। इस प्रकार के वेटलैंड की संख्या मध्य प्रदेश में करीब दो लाख है। इसमें उन सभी तालाबों या झीलों को लिया गया है, जिनका क्षेत्रफल 2.25 हेक्टेयर से अधिक है। इन वेट लैंड में चार अंतरर्राष्ट्रीय महत्व की हैं। जिन्हें रामसर साइट कहा जाता है। भोज वेट लैंड (बड़ा तालाब) मध्य प्रदेश की पहली रामसर साइट है। दूसरी तरह के वॉटर बॉडी वे हैं, जो या तो नदियों के बांध हैं या फिर नदी या अन्य झीलें है। जिनका पर्यावरणीय महत्व एवं भूजल संवर्धन में महत्व अत्यधिक है।
सवाल : डीजल मोटर बोट के संचालन से पर्यावरण को क्या-क्या नुकसान हो रहा था?
सुभाष पांडे – इससे पर्यावरण को कई तरह का नुकसान हो रहा है। उसमें उपयुक्त होने वाले डीजल में सल्फर की मात्रा दो प्रतिशत से अधिक होती है। जो कि मोटर बोट से चलते समय सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड समेत अन्य विषैली गैसों का उत्सर्जन करती हैं। ये स्थानीय वायु प्रदूषण बढ़ाने के अलावा पानी में अम्लीयता को बढ़ाते जाते हैं। इससे जलीय जीव जंतुओं में जीवन का खतरा बहुत बढ़ जाता है। डीजल मोटर बोट से उत्पन्न होने वाला अवशेष सीधे पानी में मिलकर डीजल की मात्रा बढ़ाते जाता है।
सवाल : किन-किन एक्ट का उल्लंघन कर बड़े तालाब में क्रूज का संचालन किया जा रहा था?
सुभाष पांडे- वॉटर एक्ट-1974, एयर एक्ट-1981, ध्वनि प्रदूषण नियम-2002, वेट लैंड नियम-2017, जैव विविधता एक्ट-2002, भोपाल मास्टर प्लान-2005 के निर्देश, एमपी पर्यावरण विभाग का 16 मार्च 2022 का आदेश समेत 14 से अधिक एक्ट और निर्देशों का सीधा उल्लंघन हो रहा था। इसके लिए पर्यटन विभाग के द्वारा कभी भी एमपी पीसीबी और एमपी वेट लैंड अथॉरिटी से कोई अनुमति नहीं ली गई।
सवाल : क्रूज का ध्वनि प्रदूषण से क्या संबंध है?
सुभाष पांड़े- जब डीजल इंजन पुराना हो जाता है। तब उसके इंजन से आवाज निकलती है, वह जलीय जीव जंतु और अन्य वन्य जीव जंतुओं के लिए नुकसान दायक होती है। यहां पर सबसे बड़ा नुकसान यह है कि नर्मदा और बड़े तालाब जैसी वॉटर बॉडी के नजदीक वन विहार जैसे संवेदनशील जैसे क्षेत्र उपस्थित हैं। जिनमें 45 डेसीबल से ऊपर की ध्वनि इन वन्य जीवों के लिए जानलेवा साबित होती है। वह आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं। साथ ही क्रूज में यात्रियों के लिए मनोरंजन के लिए लगाए जाने वाले स्पीकर की तीव्रता भी अधिकांशत: 90 से 120 डेसीबल तक रखी जाती है। जो की समस्या का सबसे गंभीर महत्वपूर्ण कारण है।
सवाल: सरकार ने नुकसान नहीं होने और क्रूज चलाने को लेकर एनजीटी के सामने क्या तर्क रखा?
सुभाष पांडे- सरकार का यह कहना है कि क्रूज पर्यावरणीय नियमों के अधीन नहीं होता। इसलिए हमें किसी भी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। दूसरा दावा था कि क्रूज का संचालन जनता की सेवा के लिए किया जाता है। इसलिए संचालन की अनुमति जारी रखनी चाहिए। इसे एनजीटी ने नकारते हुए कहा कि क्रूज का संचालन मनोरंजन के लिए और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। यह जनता के कल्याण की सीमा नहीं आता। बल्कि यह उद्योग की श्रेणी में आता है। दूसरा किसी भी प्रकार के उद्योग को पर्यावरणीय अनुमति की छूट नहीं दी जा सकती।
सवाल: क्या यह आदेश देश भर में लागू होगा?
सुभाष पांडे – वर्तमान में यह आदेश प्रदेश की वॉटर बॉडी पर लागू हो गया है। किंतु दूसरे प्रदेशों के लोग भी चाहें तो एनजीटी के आदेश का संदर्भ लेकर उनके यहां नदियों और तालाबों में चलने वाले मोटर बोट को प्रतिबंधित करने की मांग कर सकते हैं।
सवाल : वॉटर एक्टिविटी को संचालित करने के दूसरे क्या विकल्प है?
सुभाष पांडे – जहां तक वेट लैंड में मोटर बोट चलाने की बात है। वेट लैंड नियमों के तहत कभी भी किसी भी प्रकार के मोटर बोट चलाने की अनुमति नहीं रहेगी। किंतु अन्य जल संसाधनों में फोर स्ट्रोक इंजन वाले मोटर बोट का इस्तेमाल करके संचालन किया जा सकता है, लेकिन उन्हें भी पर्यावरणीय अनुमति लेना अनिवार्य है।
सवाल : सरकार एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है?
सुभाष पांडे- सरकार को यदि लगता है कि यह न्यायसंगत नहीं है तो उन्हें जरूर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। किंतु एनजीटी के द्वारा 69 पेज के आदेश में उन सभी तकनीकी पक्षों और पर्यावरणाीय नियमों का विस्तृत रूप से हवाला दिया गया है, जिनके आधार पर क्रूज और मोटर बोट का संचालन प्रतिबंधित किया गया है।
सवाल: एनजीटी का आदेश आपकी नजर में कितना महत्वपूर्ण है?
सुभाष पांडे- मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी को एक जीवित इकाई का दर्जा दिया है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक भी है। लेकिन नर्मदा समेत प्रदेश की सभी वॉटर बॉडी का आचमन करने लायक भी नहीं बचा है। इसलिए यह आदेश इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस आदेश के पालन के बाद वॉटर बॉडी के साथ भूजल की गुणवत्ता में सुधार होगा। तीसरी बात यह है कि इस आदेश के कारण प्रदेश के लाखों मछुआरों की परंपरागंत आजीविका लौटेगी। अनेक जलीय जीव जंतु जल प्रदूषण के कारण समाप्त होने को है। मध्य प्रदेश राज्य की मछली महाशिर अब एक प्रतिशत से भी कम बची है। उक्त आदेश के बाद उक्त इस दिशा में गंभीर और सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है।
सवाल: एनजीटी के आदेश में और क्या महत्वपूर्ण बात है?
सुभाष पांडे- वेट लैंड के किनारे से 50 मीटर की दूरी बफर जोन के अंतर्गत आती है। अत: उस पर किए गए सभी शासकीय और प्राइवेट निर्माण अवैध मानते हुए तत्काल तोड़ने के आदेश दिए गए हैं। इन आदेश का परिपालन तीन माह में सुनिश्चित करने को कहा गया है।