Hindi Diwas in Bhopal: South Asia edition of world famous medical research journal 'The Lancet' now in Hindi

मध्य प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी हो रही है।
– फोटो : सोशल मीडिया

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हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करवाने वाले मध्य प्रदेश में आज हिंदी दिवस पर एक और नई पहल की गई। अब विश्व प्रख्यात चिकित्सा शोध जर्नल ‘द लैंसेट’ का साउथ एशिया एडिशन भी पहली बार हिन्दी में प्रकाशित किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने हिंदी दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की। 

मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि ‘द लैंसेट’ का ट्रांसलिट्रेशन हिंदी में होगा। अंग्रेजी के बाद विश्व की चौथी भाषा होगी हिंदी, जिसमें ये सुविधा मिलेगी। इस मौके पर द लैंसेट की डिप्टी पब्लिशिंग हेड फियोना मेकलेब और एल्जेवीयर पब्लिकेशन के प्रमुख शंकर कौल ने गांधी मेडिकल कॉलेज में आयोजित हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार का अवलोकन भी किया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के “हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार” को ही ‘द लैंसेट’ के साउथ एशिया संस्करण का हिंदी में ट्रांसलिट्रेशन की जिमेदारी दी गई है। इससे निश्चित तौर पर हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। इससे पहले मध्य प्रदेश मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करवाने वाला पहला राज्य बन चुका है। यहां पर एमबीबीएस की अधिकांश किताबों को हिंदी में ट्रांसलेट किया जा चुका है। अन्य किताबों को भी अंग्रेजी से हिंदी में रूपांतरित करने का काम जारी है। 

क्या कहते हैं हिंदी में पढ़ने वाले बच्चे

रायसेन जिले के आशुतोष शर्मा, नरसिंहपुर के योगेश कतिया, रीवा के मोहित मिश्रा और सीधी जिले के अंकित पांडे ऐसे विद्यार्थी हैं जो गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदी मीडियम से आने के कारण अंग्रेजी में उन्हें पढ़ने में समस्या होती थी, लेकिन अब जब हिंदी में ही मेडिकल की पढ़ाई की सुविधा मिल रही है तो उनके लिए कोर्स करने में बहुत आसानी हो गई है। वहीं इसी कॉलेज से पीजी करने वाले डॉक्टर कुलदीप गुप्ता का कहना है कि अब वे हिंदी में ही साइन करते हैं और हिंदी में ही मरीजों को दवाएं लिखते हैं।



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