People took out the funeral procession in the swollen river, reached Muktidham after drowning till their waist

ग्वालियर के ग्राम सेकरा की यह तस्वीर विकास के दावों की हकीकत बयां कर रही है।
– फोटो : सोशल मीडिया

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प्रदेश सरकार विकास के चाहे कितने भी दावे क्यों न कर ले, पर ग्रामीण अंचल में विकास की अलग ही तस्वीर देखने को मिलती है। आज जो तस्वीर देखने को मिली है वह ग्वालियर जिले के ग्राम सेकरा की है, जहां अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को नदी में से होकर गुजरना पड़ा। नदी पार करते हुए जोखिम भरी तस्वीर का वीडियो वायरल हुआ तो गांवों के विकास की हकीकत सामने आ गई।

आपको बता दें कि सिरसा और सेकरा के बीचों बीच से नोन नदी निकली है। बारिश के दौरान नदी चढ़ने पर समस्या आती है। सबसे ज्यादा परेशानी अंतिम संस्कार के लिए शव यात्रा निकालने को लेकर बनती है। दरअसल नदी के दूसरे छोर पर मुक्तिधाम बना है। बता दें कि सेकरा निवासी रामदीन गुर्जर की मां भागोबाई (75) का बीती रात्रि निधन हो गया था। अंतिम संस्कार के लिए नदी पार करना पड़ा। नदी चढ़ी हुई थी। इसके चलते लोगों ने जोखिम उठाया। चार लोग अर्थी लेकर आगे चल रहे थे। किसी के हाथ में लकड़ी है तो किसी के हाथ में अंतिम संस्कार की सामग्री थी। ऐसे में शव यात्रा में चल रहे लोगों के साथ यदि इस बीच कोई हादसा हो जाए तो कई लोग जान गंवा भी सकते थे।

ग्रामीण रघुवीर सिंह का कहना है कि गांव में मुक्तिधाम नदी के दूसरी ओर बना हुआ है, जिसके चलते बरसात के समय में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम लोगों ने अपने खर्चे पर नदी में पोल और ढोल डाले हुए हैं जिस पर से होकर हम लोग गुजरते हैं कई बार शासन प्रशासन से नदी पर रपटा बनाने की मांग की है, पर आज तक कोई भी सुनवाई नहीं हुई है। आज भी अंतिम संस्कार के लिए नदी में से होकर गुजरना पड़ा।

इस मामले में जमकर सियासत हो रही है। कांग्रेस ने बीजेपी के विकास के दावों पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस कह रही है कि भाजपा विकास के खोखले दावे करती है, लेकिन हकीकत यही है। भाजपा नेताओं का कहना है अगर यह स्थिति है तो जरूर इसकी जानकारी जुटा जाएगी और वहां पर व्यवस्थाएं सुधारी जाएंगी। दूसरी तरफ इस मामले में ग्वालियर जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।



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