10:12 PM, 11-Sep-2023
सभामंडप में पूजन के साथ हुआ सवारी का समापन
बाबा महाकाल की शाही सवारी नगर भ्रमण के पश्चात पुनः महाकाल मंदिर पहुंची, जहां श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी गणों द्वारा बाबा महाकाल का पूजन अर्चन किया गया। इसके बाद इस सवारी का समापन हुआ।
09:16 PM, 11-Sep-2023

गोपाल मंदिर पहुंची महाकाल की शाही सवारी।
– फोटो : अमर उजाला
लाखों श्रद्धालु बने साक्षी
वैसे तो पूरी शाही सवारी अद्भुत और आलोकित रहती है लेकिन हरि के द्वार जैसे ही बाबा महाकाल यानी हर पहुंचते हैं तो यहां हरि और हर के मिलन का जो अद्भुत संयोग बनता है उसे कोई भुला नहीं सकता है। आज भी लाखों श्रद्धालु हरिहर मिलन के साक्षी बने बाबा महाकाल की शाही सवारी जैसे ही गोपाल मंदिर पहुंची वैसे ही गोपाल मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करने पहुंचे जहां उन्होंने बाबा महाकाल का विशेष पूजन अर्चन कर महाआरती की। इस दौरान एक ऐसा दृश्य दिखाई दे रहा था कि जिसने भी इसे देखा वह भावविभोर हो गया, क्योंकि पूरा गोपाल मंदिर क्षेत्र जय शिव ओंकारा की गूंज से गुंजायमान हो रहा था और लाखों श्रद्धालु इस दृश्य के साक्षी बने थे। बाबा महाकाल की सवारी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, महाकाल चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। जहां पुनः सभा मंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान श्री मनमहेश का षोडशोपचार पूजन अर्चन होगा जिसके बाद इस सवारी का समापन होगा।
07:45 PM, 11-Sep-2023
तीन पीढ़ियों से बाबा महाकाल की पालकी उठा रहे कहार
प्रतिवर्ष बाबा महाकाल की निकलने वाली सवारियों में महाकाल की पालकी को शुरू से ही कहार समाज के लोग उठाते चले आए हैं। 100 वर्ष से अधिक समय हो गया वर्तमान में महाकाल की पालकी को उठाने वाले तीसरी पीढ़ी के कहार हैं। जो पालकी उठाने की सेवा कर रहे हैं। वर्तमान में पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी ने बताया कि बाबा महाकाल की सभी सवारियों में कहार समाज के व्यक्ति ही महाकाल बाबा की पालकी उठाते हैं। यह इनकी तीसरी पीढ़ी है, पहले इनके दादा जी फिर इनके पिता जी अब स्वयं बाबा महाकाल की सेवा में वर्षों से पालकी उठाने की सेवा करते आए हैं।
वर्षों पहले इनके दादाजी के समय में बाबा महाकाल पालकी लकड़ी की हुआ करती थी। उस समय पालकी उठाने के लिए 25 व्यक्ति हुआ करते थे। मंदिर की तरफ से एक नारियल पतासे की स्वरूप में दिए जाते थे। मेरे दादाजी के निधन के बाद मेरे पिताजी ने पालकी उठाने की सेवा की उनके बाद से मैं तीसरी पीढ़ी हूँ जो लगातार 25 वर्षों से अधिक हो चुके हैं मुझे, अब बाबा महाकाल की पालकी की सेवा कर रहा हूँ। सन 2000 से 2010 तक चांदी की पालकी उठाने के लिए 50 व्यक्ति होते थे क्योंकि पालकी लोहे के स्ट्रक्चर और लकड़ी के ऊपर चांदी की परत से बनी होती थी, जिससे पालकी का वजन कम रहता था। सन 2010 से यह तीसरी पालकी है। यह वाली पालकी भारी रहती हैं इस पालकी में लोहे का स्ट्रक्चर स्टील और चांदी लकड़ी से बनी होती है इसलिए पालकी भारी हो जाती है, अब पालकी उठाने के लिए 80 व्यक्ति लगाने पड़ते हैं।
महाकाल मंदिर की तरफ से पालकी अध्यक्ष हेमराज कहार हैं। पालकी में पालकी की प्रमुख प्रशांत चंदेरी, जितेंद्र कहार, किशन कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार आदि पालकी मैं बाकी अन्य कहार समाज के पालकी उठाने में रहते हैं। पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी बताते हैं कि महाकाल बाबा की पालकी किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब बाबा महाकाल की पूजन अर्चन होती हैं और उसके बाद पालकी में विराजते हैं, उससे पहले पालकी का वजन कम होता है जैसे ही पूजन अर्चन होने के बाद जब पालकी उठाते हैं तो पालकी का वजन अचानक बढ़ जाता है, ऐसा लगता है कि पालकी में बाबा विराजमान हो गए हैं जिससे पालकी भारी हो जाती है। राजू कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार, अर्जुन कहार, संजू कहार, जगदीश कहार, राहुल कहार, मनोज कहार, जगदीश कहार, दिनेश कहार, तेजा कहार, बबला कहार, रवि कहार, आशीष कहार, गोलू कहार, छोट महेश कहार, मुकेश कहार, राहुल कहार, बड़ा महेश कहार वर्षो से पालकी उठा कर सेवा कर रहे है।
07:30 PM, 11-Sep-2023
गोपाल के द्वार पहले पूजन फिर होगा हरि से हर का मिलन
वैसे तो अब तक निकली बाबा महाकाल की प्रत्येक सवारी शाम 7:00 बजे तक गोपाल मंदिर पहुंच जाती थी, लेकिन आज बाबा महाकाल की शाही सवारी है। इसीलिए सवारी मार्ग का मार्ग भी कुछ अधिक है। शाही सवारी आज टंकी चौक से छत्री चौक जाने की बजाय तेलीवाड़ा, कंठाल, सती माता मंदिर होने के बाद छत्रीचौक आएगी, यही कारण है कि आज भगवान हरि का हर से मिलन रात्रि को लगभग 9:00 बजे होगा। भगवान हरि के दरबार यानी गोपाल जी का द्वार विशेषता सज्जा के कारण वैसे ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, लेकिन भगवान हर यानी कि बाबा महाकाल की सवारी आज जेसे ही हरि के दरबार पहुंचेगी। वैसे ही गोपाल मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करेंगे जहाँ हरि का हर से मिलन होगा। रामघाट के बाद गोपाल मंदिर क्षेत्र ही ऐसा स्थान होता है जहां पर लाखों श्रद्धालु एक साथ इस क्षण के साक्षी बनते हैं और अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
06:52 PM, 11-Sep-2023

शिप्रा घाट से रवाना हुआ महाकाल की शाही सवारी।
– फोटो : सोशल मीडिया
रात 9 बजे गोपाल मंदिर पहुंचेगी बाबा महाकाल की सवारी
प्रशासन द्वारा जारी समय मे सवारी की शुरुआत शाम 4 बजे सभामंडप से होने के बाद गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, हरसिद्धि के पाल और 5:15 पर रामघाट पर पहुंचने की थी। इसके बाद लौटती सवारी शाम 6 बजे, रामानुज कोट 6:30 बजे, गणगौर दरवाजा 7:00 बजे, सत्यनारायण मंदिर 7:45 बजे, टंकी चौराहा रात 8:00 बजे, तेलीवाड़ा 8:30 बजे, 9:00 बजे गोपाल मंदिर, 9:30 बजे गुदरी चौराहा, 9:45 बजे कोट मोहल्ला और 10:00 बजे मंदिर परिसर पर पहुंचने की संभावना है।
06:10 PM, 11-Sep-2023

रामघाट पर सिंधिया ने महाकाल की सवारी का पूजन किया।
– फोटो : अमर उजाला
सिंधिया परिवार की परंपरा का निर्वहन करने के लिए आज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मां शिप्रा के तट रामघाट पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने बाबा महाकाल का विशेष पूजन अर्चन सिंधिया परंपरा के अनुसार किया। इसे महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष पुजारी द्वारा सम्पन्न करवाया गया। इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सिर पर टोपी लगाकर बाबा महाकाल के पालकी में विराजमान श्री चंद्रमोलेश्वर स्वरूप का पूजन अर्चन किया। पूजन अर्चन के बाद रामघाट और दत्त अखाड़ा दोनों स्थानों पर बाबा महाकाल की आरती की गई। इस दौरान लाखों श्रद्धालु इस अनमोल क्षण के साक्षी बने जिन्होंने हाथ उठाकर जय श्री महाकाल का उद्घोष किया। पूजन अर्चन के बाद यह सवारी पुनः नगर भ्रमण के लिए निकली।
हमारा पूर्ण प्रदेश समृद्धशाली हो बाबा महाकाल से यही कामना – ज्योतिरादित्य सिंधिया
रामघाट पर बाबा महाकाल का पूजन दर्शन करने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से कहा कि किसानों की फसल अच्छी हो, हमारा पूर्ण प्रदेश समृद्धशाली हो बस बाबा महाकाल से मेरी यही कामना है।
05:38 PM, 11-Sep-2023

महाकाल की सवारी का पूजन करने रामघाट पहुंचे सिंधिया।
– फोटो : अमर उजाला
महाकाल की सवारी मे भगवान के एक जैसे दो मुखोटे
अगर आप बाबा महाकाल की शाही सवारी देखने गए हैं और आपको पालकी में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के दर्शन नहीं होते हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु बताते हैं कि बाबा महाकाल की सवारी में निकाले जाने वाले दो मुखोटे एक समान होते हैं जिसमें पालकी में विराजमान भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर विराजित भगवान श्री मनमहेश का स्वरूप एक जैसा ही होता है। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि पूर्व के समय में जो राजा होते थे वह या तो पालकी में सवार होकर निकलते थे या हाथी पर सवार होकर निकलते थे, इसलिए अनादिकाल से जब से महाकाल की सवारी निकल रही है, उसी समय से हमारे पूर्वजों ने भक्तों की सुविधा के लिए यह व्यवस्था की थी कि भगवान के एक जैसे दो मुखारविंद बनवाए गए और तभी से एक मुखारविंद पालकी में विराजित किया जाता है और दूसरा उसी तरह का मुखारविंद हाथी पर बैठाया जाता है और महाकाल राजा इस तरह पालकी में भी सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते आ रहे हैं और हाथी पर सवार होकर भी अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकले हैं। पुजारी महेश गुरु बताते हैं कि दोनों मुखारविंद एक समान हैं। जिन भक्तों को पालकी में बैठे महाकाल राजा के दर्शन नहीं हो पाते हैं वह श्रद्धालु हाथी पर सवार महाकाल राजा के दर्शन भी कर सकते है।
05:13 PM, 11-Sep-2023
रामघाट की ओर बढ़ रही बाबा महाकाल की शाही सवारी
बाबा महाकाल का नगर भ्रमण जारी है, लेकिन कुछ देर बाद बाबा महाकाल की यह सवारी रामघाट पहुंचेगी। जहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मां शिप्रा के पावन जल से भगवान श्री चंद्रमोलेश्वर का अभिषेक व पूजा अर्चना कर आरती करेंगे। जिसकी तैयारियां घाट पर पूर्ण कर ली गई है। बताया जाता है कि बाबा महाकाल की शाही सवारी में सिंधिया परिवार के एक सदस्य हमेशा ही शामिल रहते हैं। जिसकी परंपरा अति प्राचीन है। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु बताते हैं कि भगवान महाकाल की सवारी प्राचीन समय से निकल रही है लेकिन सिंधिया स्टेट के दौरान बाबा महाकाल की सवारी को भव्य रूप दिया गया था। उस समय भी सिंधिया परिवार की ओर से भगवान महाकाल की सवारी के दौरान पूजा अर्चना और आरती की जाती थी। वह अधिकांशतः द्वारकाधीश गोपाल मंदिर से भगवान महाकाल की आरती करते आए हैं, इसी परंपरा का निर्वहन अभी भी किया जा रहा है और इसीलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया आज उज्जैन आए हैं।
04:49 PM, 11-Sep-2023

महाकाल की सवारी के दौरान लंकेश के रूप में कलाकार।
– फोटो : अमर उजाला
बाबा महाकाल की सवारी में आए लंकेश
बाबा महाकाल की सवारी के दौरान लंकेश रावण का स्वरूप धरकर आए एक श्रद्धालु आकर्षण का केंद्र रहे। जो कि सवारी के दौरान नृत्य करते हुए भी नजर आ रहे थे। इनके साथ ही कुछ श्रद्धालु राधा कृष्ण तो कुछ भगवान शिव का रूप धारण कर सवारी में शामिल हुए। भगवान भोलेनाथ की सवारी मे श्रद्धालुओं के अलग-अलग स्वरूप दिखाई देते हैं कोई भूत तो कोई अन्य स्वरूपों में इस सवारी में शामिल होता है।
किसी ने घुमाई लाठी तो किसी ने किया मलखंभ
ऐसा नहीं है कि बाबा महाकाल की सवारी में श्रद्धालु अलग-अलग स्वरूपों में ही शामिल होते हैं, बाबा महाकाल की सवारी में खेलों का प्रदर्शन भी होता है यही कारण है कि आज नगर में धूमधाम से निकल रही शाही सवारी में जहां ट्रैक्टर के ऊपर कुछ बच्चों ने मलखम्ब की प्रस्तुति दी तो कुछ बालिकाएं सवारी के बीच लट्ठ घूमाती हुई भी नजर आई।
04:42 PM, 11-Sep-2023

महाकाल की शाही सवारी में शामिल भक्त।
– फोटो : अमर उजाला
सवारी में 70 भजन मंडलियां और 5 बैंड शामिल
बाबा महाकाल की शाही सवारी में 70 भजन मंडलियां जो उज्जैन सहित इंदौर, रतलाम, खिलचीपुर, बडनगर, जीरापुर, देवास और इसाकपुर के साथ ही पांच बैंड गणेश बैंड, भारत बैंड, रमेश बैंड, आर.के. बैंड और राजकमल म्यूजिकल बैंड भी शामिल है। प्रत्येक सवारी की तरह आज भी बाबा महाकाल की सवारी में लाखों भक्त शामिल है, याद रहे कि महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन मे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
04:29 PM, 11-Sep-2023
15वें क्रम पर श्री चंद्रमोलेश्वर के दर्शन
बाबा महाकाल की शाही सवारी प्रशासन द्वारा निर्धारित कम के अनुसार निकल रही है जिसमें 1. मंदिर का प्रचार वाहन, 2. यातायात पुलिस, 3. कड़ाबिन, 4. महाकाल का चांदी का ध्वज, 5. घुड़सवार, 6. विशेष, सशस्त्र बल सलामी गार्ड, 7. स्काउट-गाइड, 8. कांग्रेस सेवा दल, 9. सेवा समिति बैंड 10. भजन मंडलियां, 11. गणमान्य नागरिक, सांधु-संत, 12. पुलिस बैंड, 13. नगर सेना सलामी गार्ड, 14. महाकालेश्वर मंदिर पुजारी, पुरोहित, 15. पालकी में विराजमान चंद्रमौलेश्वर, 16. बैंड, 17. गरुडजी के रथ पर शिव-तांडव प्रतिमा, 18. बैंड व जनरेटर, 19. नंदीजी के रथ पर उमा-महेश का मुखारबिंद, 20. बैंड, 21. डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद, 22. बैंड, 23. घटाटोप मुखारविंद, 24. बैंड, 25.जटाशंकर मुखारविंद, 26. बैंगलुरु का बैंड, 27. रुद्रेश्वर मुखारविंद, 28. बैंगलुरु बैंड, 29. चंद्रशेखर मुखारविंद, 30. बैंड, 31. सप्तधान मुखारविंद, 32. हाथी पर मन- महेश, 33. एम्बुलेंस, 34. एमपीईबी का वाहन, 35. फायर ब्रिगेड, 36. पुलिस वाहन है। जबकि श्रद्धालुओं को 15वें क्रम पर पालकी में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के दर्शन हो रहे हैं।
04:20 PM, 11-Sep-2023

इन भक्तों का अंदाज भी रहा कुछ निराला
– फोटो : अमर उजाला
दक्षिण भारत की तर्ज पर सवारी मे निकले भक्त
वैसे तो भारत के दक्षिण क्षेत्र मे मुखौटा पहनकर अलग-अलग वेशभूषा में लोग निकलते हैं, लेकिन बाबा महाकाल की सवारी में उसी तर्ज पर आज एक मंडली शामिल हुई। इसके आगे आगे ढोल बजाए जा रहे थे तो वही पीछे मुखौटा पहने लोक नृत्य करते नजर आ रहे थे सवारी में यह सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
04:08 PM, 11-Sep-2023
विशेष सशस्त्र बल ने दी सलामी
बाबा महाकाल की शाही सवारी मंदिर प्रांगण से बाहर निकलकर श्री महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंच चुकी है। जहां विशेष सशस्त्र बल द्वारा पालकी में विराजित बाबा महाकाल के स्वरूप श्री चंद्रमौलेश्वर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान पुलिस बैंड द्वारा प्रस्तुति दी गई। सवारी का यह दृश्य देखते ही बन रहा था क्योंकि लाखों की संख्या में खड़े भक्तों के बीच आज उनके इष्ट देव देवाधिदेव बाबा महाकाल स्वयं पधारे थे। श्रद्धालुओं ने दोनों हाथ जोड़कर न सिर्फ बाबा महाकाल का अभिवादन किया बल्कि जय श्री महाकाल की गूंज के साथ अपनी श्रद्धा भी प्रकट की।
03:52 PM, 11-Sep-2023

सभामंडप में महाकाल के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पूजन किया गया।
– फोटो : अमर उजाला
शुरू हुई बाबा महाकाल की शाही सवारी
देवों की नगरी उज्जैन के राजाधिराज बाबा महाकाल सभागृह मे हुए पूजन-अर्चन के बाद रजत पालकी में विराजमान हो चुके हैं, जो कि आज नगर भ्रमण के दौरान प्रजा का हाल जानेंगे। भादो मास के दूसरे सोमवार की सवारी की शुरुआत के पहले संभागायुक्त डॉ संजय गोयल, आईजी संतोष सिंह, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी जी महाराज, महापौर मुकेश टटवाल, श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने शासकीय पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व मे भगवान श्री महाकालेश्वर के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पूजन अर्चन किया। जिसके बाद श्री चंद्रमौलेश्वर रजत पालकी में सवार हुए और सवारी की शुरुआत हुई।
03:41 PM, 11-Sep-2023
Mahakal Sawari: सभामंडप में पूजन के साथ हुआ सवारी का समापन, लाखों भक्त बने महाकाल की शाही सवारी के साक्षी
भादो मास के दूसरे सोमवार पर आज बाबा महाकाल शाही स्वरूप में प्रजा को दर्शन देने धूमधाम से नगर भ्रमण पर निकलेंगे। बाबा महाकाल कि इस सवारी की सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। आज शाम 4 बजे सभागृह में पूजन अर्चन के बाद बाबा महाकाल की सवारी शुरू होगी, जो कि नगर के परंपरागत मार्ग से होती हुई निकलेगी।
सवारी शुरू होने के पूर्व श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के सदस्यों ने सवारी में निकलने वाले रथों का पूजन-अर्चन किया। इस वर्ष अधिकमास के कारण अधिक सवारी निकाले जाने पर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दानदाता के सहयोग से तीन नवीन रथ तैयार किए गए हैं। इसमें से एक रथ पर आज शाही सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर श्री सप्तधान स्वरुप में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। आज सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य राजेन्द्र शर्मा ‘गुरु’ व राम पुजारी व भारत शर्मा द्वारा मंदिर परिसर में रथ का विधिवत पूजन किया गया। पूजन श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने संपन्न करवाई।