
नए स्वीमिंग पूल को गोताखोरों नेे परखा।
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इंदौर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिता के लिए 22 करोड़ की लागत से तैयार स्वीमिंग पूल का ट्रायल गोताखोरों ने डाइव लगाकर कर लिया, लेकिन यह पूल आम जनता और तैराकी सिखने वालों के किसी काम का नहीं है। पूल का उपयोग सिर्फ स्पर्धा में भाग लेने वाले और तैराक ही कर सकेंगे। पूर्वी क्षेत्र के रहवासी अब मांग कर रहे है कि तैराकी सीखने के लिए भी एक पूल बनाया जाए,क्योकि पूर्वी क्षेत्र में एक भी पूल नहीं है।
पिपलियाहाना चौराहा के पास इंदौर विकास प्राधिकरण ने रेसिंग, डायविंग स्लिप्स पूल का निर्माण 22 करोड़ की लागत से कराया है। रेसिंग पूल दस लेन का है, जबकि डायविंग पूल 18 बाय 30 मीटर का हैा उसकी गहराई भी अधिक है। पूल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से तैयार किया है।
गोताखोरों ने डाइव लगा कर पूल का ट्रायल लिया। दस मीटर की ऊंचाई से डाइव लगाकर गोताखोरो ने पूल को परखा, लेकिन जिन्हें तैरना नहीं आता, वे इस पूल में नहीं उतर सकेंगे,क्योकि उनकी गहराई अधिक है।
पूर्व सभापति अजय सिंह नरुका ने कहा कि उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में स्वीमिंग पूल की मांग की थी। वर्ष 2010 में नर्मदा के तीसरे चरण के लोकार्पण के समय मुख्यमंत्री ने पूल बनाने की घोषणा की थी। तब भी हमारी मांग थी कि पूल अाम लोगों व छोटे बच्चों को तैराकी सीखने के लिए भी बनाया जाए। प्राधिकरण यदि वाटर पोलो खेल के लिए स्वीमिंग पूल बनाता है तो उसका उपयोग तैराकी सीखने वालों के लिए भी हो सकता है,क्योकि उसकी गहराई चार से पांच फीट ही रहती है। उसका निर्माण भी जल्दी और कम लागत में हो जाता है।
छोटो स्वीमिंग पूल भी बनाएंगे
इस पूल को बनाने के पीछे मंशा यह थी कि इंदौर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैराकी स्पर्धा हो सके। तैराकी सीखने के लिए तो इंदौर में कई पूल है, लेकिन स्पर्धा के हिसाब से एक भी पूल नहीं बनाया गया था। स्पोटर्स काम्प्लेक्स में पर्याप्त स्थान है, भविष्य में सीखने के लिए अलग से एक पूल तैयार किया जाएगा। – जयपाल सिंह चावड़ा, अध्यक्ष, आईडीए