उरई। डीपीआरओ कार्यालय के निरीक्षण में सीडीओ को लगभग 59 लाख का फर्जीवाड़ा मिला है। इससे कार्यालय खलबली मच गई है। जानकारी पाकर एसओजी, सर्विलांस टीम भी मौके पर पहुंच गई। जांच में पकड़े गए अकाउंटेंट, सफाई कर्मचारी व एक अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।

सीडीओ भीमजी उपाध्याय ने शुक्रवार को डीपीआरओ कार्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने अभिलेख भी देखे। इसमें गड़बड़ी नजर आने पर उन्होंने बारीकी से अभिलेखों का निरीक्षण किया तो तमाम खामियां नजर आईं। उन्होंने अन्य विभागों के अकाउंटेंटों को बुलाकर अभिलेखों की जांच करवाई तो प्रचार-प्रसार की मद से 58 लाख 98 हजार 544 रुपये का कोई हिसाब किताब नहीं मिला। इस पर पूछा तो अकाउंटेंट मनोज कुमार वर्मा इसकी कोई जानकारी नहीं दे पाए। इतना बड़ा गबन सामने आने पर कार्यालय में खलबली मच गई।

जानकारी पर सर्विलांस व एसओजी टीम भी डीपीआरओ कार्यालय पहुंच गई और जानकारी ली। सीडीओ ने बताया कि पूर्व डीपीआरओ अभय कुमार यादव ने 14 नबंवर 2019 को मनोज कुमार वर्मा को कंप्यूटर ऑपरेटर पद की जिम्मेदारी दी थी। इसमें कहा गया था कि वह आईडी पासवर्ड का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही तत्कालीन सीडीओ डॉ अभय कुमार श्रीवास्तव द्वारा संस्तुति दी गई कि वह लेनदेन में उनके डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग भी कर सकते हैं। इससे अकाउंटेट मनोज कुमार वर्मा के पास वित्तीय पावर आ गई। उससे 3 अक्तूबर 2022 को शैलेंद्र कुमार वर्मा के खाते में 6 लाख 30 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके साथ ही उसने सफाई कर्मचारी विकेंद्र कुमार के खाते में 15 अक्तूबर 2022 को 8 लाख 30 हजार रुपये डाले। उसी के खाते में दो दिसंबर 2022 को 8 लाख 87 हजार रुपये भेजे। 18 जनवरी 2023 को 35 लाख 51 हजार 544 रुपये प्रचार प्रसार मद से उसके खाते में भेज दिए। निरीक्षण में इसका कोई विवरण नहीं मिला। जिस पर उन्होंने तीनों के खिलाफ डीपीआरओ को रिपोर्ट दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं।



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