
भंवर सिंह शेखावत
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भाजपा के पूर्व विधायक रहे भंवर सिंह शेखावत शनिवार को कांग्रेस का दामन थाम रहे है। वे बदनावर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते है। शेखावत कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने भोपाल पहुंच चुके है। उन्होंने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि मैने भाजपा नहीं छोड़ी, मुझे पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया गया। साढ़े चार सालों से जो कुछ मेरे साथ हो रहा था। उसके बारे में मैं वरिष्ठ नेताओं को बता चुका था, लेकिन उन्हें किसी की परवाह नहीं है। संगठन में आए लोग वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा कर रहे हैै। उनका रवैैया भी अडि़यल है।
शेखावत ने कहा कि अब भाजपा उन लोगों के कब्जे में है, जिनसे भाजपा कार्यकर्ता वर्षों तक संघर्ष करते रहे। संगठन की जमीन तैयार करने के लिए उसने लड़ते रहे। जिस नेता ने मुझे चुनाव हराया, वह भाजपा में शामिल हो गया। जो नेता पार्टी से बगावत करते है। उन्हें भी पार्टी अपना लेती है। भाजपा नेता विचारधारा छोड़ अब निजी स्वार्थों के लिए काम कर रहे हैै।
बेटा नहीं छोड़ रहा भाजपा
भंवर सिंह शेखावत के बेटे पूर्व पार्षद संदीप शेखावत अपने पिता के साथ कांग्रेस का दामन नहीं थाम रहे है। वे भाजपा मेें बने रहेंगे। संदीप दो मर्तबा जगजीवराम नगर से पार्षद रहे है, फिलहाल पार्टी ने उन्हें कोई पद नहीं दिया है।
बदनावर से चुनाव हार चुके है शेखावत
भंवर सिंह शेखावत की गिनती मालवा में भाजपा के पुराने नेताओं में होती हैै। वे भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी पहले भाजपा में आए थे। 90 के दशक मेें वे पांच नंबर विधानसभा से विधायक रह चुके है और 10 साल पहले पार्टी ने उन्हें बदनावर से टिकट दिया था। शेखावत ने राज्यवर्धन दत्तीगांव को हराया था। पिछले चुनाव में दत्तीगांव ने शेखावत को हरा दिया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दत्तीगांव भी भाजपा में शामिल हो गए थे। उपचुनाव मेें उन्हें बदनावर से उम्मीदवार बनाए जाने का शेखावत ने विरोध किया था। शेखावत की पहले भी कांग्रेस में जाने की अटकलें चलती रही है, लेकिन शनिवार को वे कांग्रेस पार्टी मेें शामिल हो रहे हैै। उन्हें बदनावर से कांग्रेस उम्मीदवार बना सकती है।