अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। नासिक के रसीले अनार अब बुंदेलखंड में भी उगाए जाएंगे। नाबार्ड ने इसके लिए बड़ागांव ब्लॉक के कुटेरा गांव को चुना है। पहले चरण में यहां बीस एकड़ में अनार के पौधे रोपे जाएंगे। पूरे प्रोजेक्ट को करीब 25 लाख रुपये की मदद मिलेगी। उद्यान अफसरों का कहना है अनार की यह प्रजाति बुंदेलखंड के वातावरण के लिए पूरी तरह अनुकूल है। इस वजह से किसानों को फायदा मिलेगा।

नासिक में होने वाला भगवा, सुपर भगवा एवं मृदुला प्रजाति का अनार अपने स्वाद एवं रस की वजह से मशहूर है। भगवा, सुपर भगवा प्रजाति का अनार का पेड़ करीब पांच फुट ऊंचा होता है। रोपाई के दूसरे साल से ही इसमें फल आने लगते हैं। एक सीजन में प्रति पौधा करीब 35-40 किलो फल का उत्पादन होता है। उद्यान अफसरों के मुताबिक एक एकड़ में करीब 80 क्विंटल उत्पादन होगा। एक एकड़ की बुवाई पर कुल खर्च करीब 16.60 लाख रुपये आएंगे जबकि तीसरे साल से ही अच्छी फसल होने पर करीब 14.20 लाख रुपये का लाभ हो सकेगा। अनार की यह किस्म बुंदेलखंड की कंकरीली, बंजर, बेकार पड़ी भूमि पर भी हो सकेगी। इसको देखते हुए बड़ागांव ब्लॉक के कुटेरा गांव में बीस एकड़ की जमीन चिन्हित की गई है। इसके लिए नाबार्ड से करीब 25 लाख रुपये की मदद की भी की जा रही है।

अनार उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है। इस सीजन में 20 एकड़ में अनार की यह किस्म लगाई जा रही है। इसके सफल होने पर दूसरे ब्लॉक में भी इसकी रोपाई कराई जाएगी।

विनय कुमार यादव, उपनिदेशक (उद्यान)



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