पूरी तरह ठप रहा न्यायिक कामकाज, स्टांप वेंडरों समेत नोटरी ने भी नहीं किया काम
– खाली पड़े रहे अधिकांश कोर्ट रूम, वादकारियों को दे दी गई अगली तारीख
आज भी काम से विरत रहेंगे अधिवक्ता
अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। जिलाधिकारी के रवैये से नाराज अधिवक्ता शुक्रवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी पर हठवादी व्यवहार अपनाने का आरोप लगाया। अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को लेकर संवदेनशील नहीं है। अधिवक्ताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे। जब तक अधिवक्ताओं की समस्याएं सुलझाने की कोशिश आरंभ नहीं होगी वह काम पर नहीं लौटेंगे। हापुड़ की घटना की भी निंदा की गई।
शुक्रवार को अधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने से अधिकांश कोर्ट में कामकाज ठप रहा। न्यायाधीश तो कोर्ट में समय से आ गए थे लेकिन जब अधिवक्ता ही नहीं आए तो कुछ देर बाद न्यायिक अफसर भी कोर्ट रूम से चले गए। अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य न करने से अधिकांश मामलों में अगली तारीख दे दी गई। स्टांप वेंडर ने भी काम नहीं किया। नोटरी बनाने का काम भी पूरी तरह ठप रहा। पेशी पर आए वादकारियों के भी मामले नहीं सुने जा सके। इनको भी अगली तारीख दे दी गई। भोजनावकाश तक किसी भी कोर्ट में काम नहीं हुआ।
उधर, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला की अध्यक्षता में कचहरी परिसर में बैठक हुई। अधिवक्ताओं ने हापुड़ की घटना की निंदा करते हुए स्थानीय अफसरों के खिलाफ भी नाराजगी जाहिर की। अधिवक्ताओं ने सामूहिक तौर पर जिलाधिकारी के रवैये की निंदा की। अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला के मुताबिक याकूब अहमद, नूर अहमद एवं सुभाष भार्गव के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अधिवक्ताओं से तीन दरोगाओं के दुर्व्यवहार करने का मामला भी सामने आया। लेकिन अधिवक्ताओं की इन समस्याओं को जिलाधिकारी सुनने को राजी नहीं। बैठक के दौरान हापुड़ की घटना की भी सामूहिक निंदा की गई। इस दौरान अधिवक्ता याकूब अहमद मंसूरी, नूर अहमद मंसूरी, रामजी श्रीवास्तव, उमेश प्रजापति, अभिषेक निगम, सुनीता निगम, रमाशंकर त्रिपाठी, अरविंद कुमार सक्सेना, सुनील कुमार पटेल, फहीम अहमद चौहान, जितेंद्र सिंह, नंद किशोर नंदू, चंद्रभान आदिम समेत अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे। उधर, झांसी टैक्स बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ता भी बार के समर्थन में पूरे दिन कार्य से विरत रहे।
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आज जनरल बॉडी की बैठक ने तय होगी आगे की रणनीति
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला ने बताया कि अधिवक्ताओं की कई मांगें हैं। इनकी रणनीति पर चर्चा करने को शनिवार दोपहर जनरल बॉडी की बैठक बुलाई गई है। उसमें अगली रणनीति तय होगी। जिला अधिवक्ता संघ के सचिव केपी श्रीवास्तव ने कहा कि अधिवक्ताओं की समस्याएं सुलझाने में स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन कोई काम नहीं कर रहा। इस वजह से अधिवक्ताओं को परेशानी होती है। आम सभा में भी जिलाधिकारी के रवैये की सामूहिक निंदा की गई। अधिवक्ता राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस की निरंकुशता बढ़ती जा रही है। मुकदमों की पैरवी करने पर अधिवक्ताओं को निशाना बनाया जाता है। प्रशासनिक अफसर भी अधिवक्ताओं को सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं। दीपक निम ने कहा कि पुलिस पिछले काफी समय से अधिवक्ताओं के खिलाफ जानबूझकर कार्रवाई कर रही है। इस अन्याय पूर्ण कदम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमित पचौरी ने कहा कि कई अधिवक्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए गए। ऐसा करके पुलिस अधिवक्ताओं पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। रवींद्र नगरा का कहना है कि प्रशासनिक अफसरों का रवैया निंदनीय है। अधिवक्ताओं की बात सुनने के लिए अधिकारियों के पास समय नहीं है। रामकुमार जाॅय ने बताया कि अधिवक्ताओं की कई मांग काफी समय से लंबित है। एमएसीटी कोर्ट को पुरानी तहसील से जिला न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग भी पूरी नहीं हुई। राम किशोर मिश्र ने कहा कि अधिवक्ताओं के खिलाफ जानबूझकर पुलिस कार्रवाई करती है। यह निंदनीय है।