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– फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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बिगड़ी हुई लाइफ स्टाइल कई बीमारियों को जन्म दे रही है। आजकल प्रोटेस्ट की बीमारियों में भी तेजी से इजाफा हुआ है और शराब का सेवन और देर रात भोजन भी इसकी मुख्य वजह बन रहा है। शहर के वरिष्ठ डाक्टरों ने जागरूकता के लिए प्रोटेस्ट जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। इस दौरान वे बता रहे हैं कि किस तरह से अनियमित दिनचर्या प्रोटेस्ट की बीमारियों की वजह बन रही है।
दुनिया भर में सितम्बर प्रोस्टेट जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। यह महीना खास तौर पर बड़ी उम्र (55+) के पुरुषों की सेहत को समर्पित होता है। मेडिकल साइंस के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 50 – 80 % पुरुषों में प्रोस्टेट से संबंधित समस्याओं को देखा जाता है। इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए शहर के डाक्टरों ने प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं, लक्षण, जांच, बचाव एवं इलाज की जागरूकता और समाधानों पर विशेष फोकस रखने का निर्णय लिया है। वरिष्ठ यूरोसर्जन डॉ. आर के लाहोटी ने बताया कि प्रोस्टेट जिसे हिन्दी में पौरुष ग्रंथि कहा जाता है, आमतौर पर 50 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में बढ़ने लगती है। बढ़ा हुआ प्रोस्टेट मूत्राशय और मूत्रमार्ग पर दबाव डाल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कई समस्याएं हो सकती हैं।
प्रोटेस्ट की बीमारियों के लक्षण
बार बार पेशाब करने (विशेषकर रात में) जाना पड़ता हो, पेशाब शुरू करने या रोकने में मुश्किल आती हो, पेशाब की धार कमजोर, हो, रुक रुक कर आती हो, पेशाब करने के लिए जोर लगाना पड़ता हो, हमेशा यह अहसास बना रहे कि और पेशाब आने वाली है, (मूत्राशय का अधूरा खाली होना), पेशाब या सीमन में खून आता हो, पेशाब करते वक्त दर्द होता हो, पेट के निचले हिस्से में दर्द होता हो, सामान्य सेक्सुअल फंक्शन में दिक्कत हो।
लापरवाही से बढ़ सकती है परेशानी
डॉ. लाहोटी ने बताया कि ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द किसी विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। इन लक्षणों के आधार पर बीमारी का स्तर जानने के लिए शारीरिक परीक्षण, प्रोस्टेट का आकार मापने के लिए सोनोग्राफी, मूत्र प्रवाह का आकलन करने के लिए यूरोफ्लोमेट्री परीक्षण, साथ ही पीएसए और अन्य जांचें की जाती हैं। लाहोटी के अनुसार प्रोस्टेट की समस्या होने पर लापरवाही से बीमारी होने पर इसका असर सीधे असर किडनी और अन्य अंगों पर भी हो सकता है। इसका केवल एक ही तरीका है कि 50 से 55 वर्ष की उम्र के पुरुषों ने करीब दो साल में एक बार प्रोस्टेट की जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा, पीएसए की जांच भी करवाई जानी चाहिए जो प्रोस्टेट ग्रंथि बनाती है।