श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी पर धार्मिक नगरी उज्जैन में एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें भगवान खुद भक्त के घर दर्शन देने पहुंचे। उनके इन दिव्य दर्शनो का लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया।
सबसे उत्तम मास श्रावण मास मे महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी की पधरावनी का आयोजन अब्दालपुरा क्षेत्र मे भक्त गोविंद यादव (बबलू यादव) और नितेश यादव के घर हुआ। सैकड़ों भक्तों ने महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के दिव्य दर्शनों का धर्म लाभ अर्जित किया। पधरावनी के पूर्व पूरे भवन को आकर्षक रूप से सजाया गया। द्वार पर आकर्षक सजावट करने के साथ ही भगवान श्री कृष्ण लीला की झांकी सजाई गई। विशेष पूजन-अर्चन के साथ लगभग तीन घंटे के लिए दर्शन शुरू हुए। इस दौरान भक्त भगवान की भक्ति मे लीन नजर आए और भजन कीर्तन करते दिखाई दिए।
तिलक लगाते ही श्रद्धालु बोल उठे जय श्री कृष्णा
पधरावनी के दौरान दर्शन करने पहुंचे सभी श्रद्धालुओ को तिलक लगाकर प्रसादी का वितरण किया गया। श्रद्धालु तिलक लगाते ही जय श्री कृष्णा का उद्घोष करने लगे। पधरावनी को लेकर यह मान्यता है कि जब भगवान के दर्शन भक्त के घर होते हैं, उस समय महाप्रभु की बैठक पर दर्शन रोक दिए जाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि पधरावनी के लिए भगवान की गादी भक्त के घर लाई जाती है। जब तक पधरावनी चलती है तब तक भगवान भक्त के घर ही रहते हैं।
उज्जैन की पधरावनी है महत्वपूर्ण
पूरे देश मे महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की 84 बैठक हैं। इनमें से एक बैठक उज्जैन के अंकपत मार्ग पर भी है। यहां प्रतिदिन परंपराओं का निर्वहन करते हुए भगवान का विशेष पूजन-अर्चन होता है। भक्तो को भी भगवान की सेवा का मौका मिले, इसलिए समय-समय पर पधरावनी के आयोजन होते हैं।