
इंदौर में अभी भी हरियाली कम है।
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स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में इंदौर को देश में पहला स्थान मिला है। दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में इंदौर सबसे आगे है। इसमें 47 शहरों ने भाग लिया था। इंदौर में अभी हवा इतनी भी शुद्ध नहीं है कि हम संतुष्ट हो जाए,क्योकि बुधवार को जब रैंकिंग के परिणाम आए, उस दिन इंदौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 82 था, जबकि आदर्श स्थिति तब है, जब एक्यूआई 55 तक रहे।
अभी भी सड़कों पर धूल और गाद जमी दिखाई देती है। हवा भले ही साफ है, लेकिन जल प्रदूषण में इंदौर की हालत खराब है। ढाई सौ करोड़ रुपये नाला टैपिंग में खर्च करने के बाद भी शहर की कान्ह, चंद्रभागा, सरस्वती नदी में सीवरेज का काला पानी बहता दिखाई देता है। शहर की शुद्ध आबो हवा के लिए कई काम है, जिन्हें पूरा करना होगा। कई कमियों को दूर करना होगा।
ग्रीन बेल्ट के मामले में पीछे
वायु प्रदूषण कम करने में हरियाली सबसे ज्यादा मददगार है, लेकिन इंदौर में हरियाली का प्रतिशत 9 से भी कम है। मास्टर प्लान में हरियाली का प्रतिशत 14 रखा गया है, लेकिन जो हिस्से ग्रीन बेल्ट है, वहां अवैध बसाहट हो चुकी है। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के पूर्व इंजीनियर जयवंत होलकर कहते है कि सिटी फारेस्ट की संख्या शहर में दो-तीन है, प्राधिकरण रहवासी क्षेत्र के लिए तो स्कीम बनाता है, लेकिन हरियाली के लिए कभी स्कीम पर काम नहीं करता।
स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल शहर में नहीं
वायु प्रदूषण कम करने में वाहन भी मददगार रहते है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पूर्व वैज्ञानिक दिलीप वाघेला कहते है कि एक शहरवासी यदि दिनभर में 6 ट्रैफिक सिग्नलों पर रुकता है तो वह 100 से 120 एमएल ईधन वाहन में सिंग्नलों पर खर्च करता है। ज्यादातर चौराहों पर स्मार्ट सिग्नल नहीं है और काफी समय चौराहा क्रास करने में लग जाता है। सिग्नल पर इंजन बंद रखने से ईधन भी कम खर्च होगा और वायु प्रदूषण भी कम होगा।