कालपी। नगर के मोहल्ला तरीबुल्दा में सप्तम ज्ञान यज्ञ श्रीमद भागवत महाकथा के अंतिम दिन राम श्याम महाराज ने कहा कि मित्रता होनी चाहिए तो कृष्णा और सुदामा जैसी। जिन्होंने सुदामा का दुख के समय भी साथ नहीं छोड़ा और आज जो मित्रता है। वह केवल स्वार्थ की है। सुख में सब साथ देते हैं। लेकिन दुख में सब छोड़ जाते हैं। यह मित्र नहीं कुमित्र है। ऐसे मित्रों से दूर रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भगवान धर्म की रक्षा के लिए एवं अधर्म के विनाश के लिए अवतार लेते हैं और धर्म की स्थापना करके भगवान अंत में इसी भागवत महापुराण में शब्दमय विग्रह के रूप में स्थापित हो गए। भगवान की कथा का कभी अंत नहीं होता है। हरि अनंत हरि कथा अनंता तो कथा का कभी अंत नहींं है। कथा के बाद भंडारे का भी आयोजन हुआ। इसमें उल्लास शुक्ला, कौशिकी शुक्ला, विधायक विनोद चतुर्वेदी, मनोज चतुर्वेदी, पवनदीप निषाद, शिवबालक यादव आदि मौजूद रहे।